

जिले की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा कोड़े ने विकासखंड नारसन के सिकंदरपुर मवाल गांव में ‘माही स्वयं सहायता समूह’ द्वारा संचालित डेयरी यूनिट और ‘माही मिल्क बार’ का निरीक्षण कर महिलाओं के इस प्रयास की सराहना की।
सीडीओ ने किया निरीक्षण
Haridwar: हरिद्वार की ग्रामीण महिलाएं आज आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं। जिले की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा कोड़े ने विकासखंड नारसन के सिकंदरपुर मवाल गांव में ‘माही स्वयं सहायता समूह’ द्वारा संचालित डेयरी यूनिट और ‘माही मिल्क बार’ का निरीक्षण कर महिलाओं के इस प्रयास की सराहना की। यह पहल उत्तराखंड ग्राम्य विकास समिति की ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और गांव में ही रोजगार के अवसर सृजित करना है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार निरीक्षण के दौरान सीडीओ आकांक्षा कोड़े ने बताया कि ‘माही स्वयं सहायता समूह’ ने श्री राधे कृष्णा क्लस्टर लेवल फेडरेशन (CLF) के अंतर्गत डेयरी यूनिट को मजबूत किया है। पहले यह महिलाएं छोटे स्तर पर दूध उत्पादन का कार्य करती थीं, जिससे उन्हें बहुत सीमित आमदनी होती थी। लेकिन ग्रामोत्थान परियोजना के तहत इंडियन ओवरसीज बैंक से 3 लाख रुपये का ऋण, स्वयं समूह के 1 लाख रुपये के अंशदान और परियोजना से 6 लाख रुपये की आर्थिक सहायता ने उनके व्यवसाय को नई ऊंचाई दी है।
आज यह समूह प्रतिदिन 450 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है, जिसमें से 350 लीटर दूध आसपास की डेरियों को बेचा जाता है। शेष 100 लीटर दूध से दही, लस्सी, पनीर और मावा जैसे दुग्ध उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जिन्हें ‘माही मिल्क बार’ के माध्यम से बाजार में बेचा जाता है। इससे समूह को प्रतिदिन 5000 से 7000 रुपये की बिक्री होती है और प्रतिमाह लगभग 50,000 रुपये का शुद्ध लाभ मिल रहा है।
इस पहल से न केवल महिलाओं की आमदनी बढ़ी है, बल्कि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा और पौष्टिक आहार भी मिल रहा है। निरीक्षण के दौरान जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना, श्री अमित सिंह, खंड विकास अधिकारी श्री सुभाष सैनी समेत परियोजना से जुड़े अन्य अधिकारी और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी उपस्थित रहीं।
ग्रामीण महिलाओं की इस सफलता ने पूरे क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई उम्मीद जगाई है और यह मॉडल अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा बन रहा है।