

हरिद्वार जनपद के ज्वालापुर से पूर्व विधायक सुरेश राठौर को भाजपा से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया हैं। पढिये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
सुरेश राठौर बीजेपी से निष्कासित
हरिद्वार: भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक अनुशासन और मर्यादा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। पार्टी ने हरिद्वार जनपद के ज्वालापुर से पूर्व विधायक सुरेश राठौर को 6 वर्षों के लिए भाजपा से निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के चलते की गई है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने जानकारी दी कि सुरेश राठौर के सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो को लेकर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। पार्टी की आंतरिक जांच के बाद पाया गया कि उनका आचरण पार्टी की नीतियों और अनुशासन के विरुद्ध है। संगठन को दिए गए उनके जवाब से भी पार्टी संतुष्ट नहीं हुई। इसके पश्चात प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के निर्देश पर यह कठोर निर्णय लिया गया।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार मनवीर चौहान ने स्पष्ट किया कि भाजपा एक अनुशासित राजनीतिक संगठन है और उसकी गरिमा से ऊपर कोई भी नहीं है। पार्टी के नियमों और निर्देशों की अनदेखी करने वाले किसी भी नेता को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उसका अतीत कितना भी प्रभावशाली क्यों न रहा हो। उन्होंने कहा कि सुरेश राठौर लंबे समय से संगठन के नियमों की अवहेलना कर रहे थे और सार्वजनिक मंचों पर भी अनुचित बयानबाजी कर संगठन की छवि को नुकसान पहुँचा रहे थे।
गौरतलब है कि सुरेश राठौर वर्ष 2012 से 2017 तक ज्वालापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रहे हैं। उस दौरान उन्होंने कुछ स्थानीय मुद्दों पर सक्रिय भूमिका भी निभाई थी। लेकिन हाल के समय में वे कई बार पार्टी लाइन से हटकर बयान देते देखे गए थे, जिससे संगठन में असहजता की स्थिति उत्पन्न हो रही थी।
अब कुछ दिन पहले सहारनपुर में पूर्व विधायक ने उससे शादी कर दूसरी पत्नी का दर्जा दे दिया। इस प्रकरण का वीडियो वायरल हुआ तो पार्टी को छवि धूमिल होने का अहसास हुआ। जिससे शीर्ष नेतृत्व ने पूर्व विधायक को नोटिस जारी कर दिया है।
भाजपा की इस कार्रवाई को एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि है। इससे साफ है कि चाहे कोई भी पद पर रहा हो, यदि वह संगठन की मर्यादा और नियमों का पालन नहीं करेगा, तो उस पर कठोर कदम उठाए जाएंगे। पार्टी के इस निर्णय से अन्य कार्यकर्ताओं को भी यह स्पष्ट संदेश गया है कि संगठन में अनुशासनहीनता की कोई जगह नहीं है।