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डोईवाला के लेखक गांव में प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण कर श्री नरसिंह भगवान की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा पूरी विधि-विधान से हुई। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक समेत सैकड़ों श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रों के साथ पूजा अर्चना में भाग लिया।
350 साल पुराने मंदिर का पुनर्निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा
Dehradun: डोईवाला थानों स्थित लेखक गांव परिसर में प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण कर श्री नरसिंह भगवान की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा किया गया। समारोह वैदिक मंत्रों और शास्त्रों के अनुसार संपन्न हुआ। मंदिर में उपस्थित विद्वान ब्राह्मणों ने विधि-विधान और मंत्रों के साथ भगवान की मूर्ति की पूजा अर्चना की।
कार्यक्रम में शामिल पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि लेखक गांव में प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण और भगवान नरसिंह की प्राण प्रतिष्ठा ने पूरे परिसर को धार्मिक और साहित्यिक वातावरण से परिपूर्ण कर दिया है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं और मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों की सराहना की।
मंदिर निर्माण समिति से जुड़े राजन गोयल ने बताया कि डॉ. निशंक की प्रेरणा से मंदिर का पुनर्निर्माण और भगवान नरसिंह की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संभव हुई। उन्होंने कहा कि थानों क्षेत्र प्राचीन समय में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था और व्यापारियों के निवास स्थान के कारण इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और भी बढ़ गया।

राजन गोयल ने आगे कहा कि “स्थानीय लोगों ने मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा में सक्रिय भूमिका निभाई। यह न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण आयोजन है।”
मंदिर में शामिल ब्राह्मणों ने बद्रीनाथ के विद्वान ब्राह्मणों के मार्गदर्शन में वैदिक मंत्रों और विधि-विधान के अनुसार पूजा की। उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है मूर्ति में जीवन का संचार करना और इसे धार्मिक विधियों से सम्पन्न करना।
श्रद्धालु और स्थानीय लोग मंत्रों के उच्चारण और पूजा में शामिल होकर आध्यात्मिक अनुभव का अनुभव कर रहे थे। इस अवसर पर मंदिर परिसर में दिव्य और शांत वातावरण बना रहा।
कार्यक्रम में लाल चंद्र, प्रकाश गोयल, गगन गोयल, मोहित उनियाल, राजवीर खत्री, सागर मनवाल, गौरव मल्होत्रा, कुसुम शर्मा, ललित पंत, सुभाष, राजेश नैथानी, रविंदर बेलवाल, अंकुश, पुरुषोत्तम डोभाल, आनंद अग्रवाल, लेखराज, सिंधवाल सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

उन्होंने मंदिर निर्माण और भगवान नरसिंह की प्राण प्रतिष्ठा को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक दायित्व का हिस्सा बताते हुए आयोजन में सहयोग किया।
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इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और साहित्यिक वातावरण को भी समृद्ध करती है। मंदिर अब गांव और आसपास के क्षेत्र के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र बन गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ने भी कहा कि इस प्रकार के आयोजन युवाओं में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता पैदा करते हैं और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में मदद करते हैं।