क्या यूपी में महंगी होगी बिजली? व्यापार मंडल ने सरकार को चेताया

उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में प्रस्तावित भारी बढ़ोतरी को लेकर व्यापारी वर्ग में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार से इस प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 14 July 2025, 7:36 PM IST
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Lucknow: उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में प्रस्तावित भारी बढ़ोतरी को लेकर व्यापारी वर्ग में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार से इस प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की है। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष बनवारी लाल कंछल ने चेतावनी भरे स्वर में कहा कि यदि प्रस्तावित वृद्धि को मंजूरी मिलती है, तो इसका सीधा असर आम जनता, किसानों, उद्योगपतियों और छोटे व्यापारियों पर पड़ेगा, जो पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं।

पावर कार्पोरेशन का प्रस्ताव: कितनी बढ़ सकती हैं दरें?

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  बनवारी लाल कंछल ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) के समक्ष बिजली दरों में भारी वृद्धि का संशोधित प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव के अनुसार:

  • ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए दरों में 40 से 45 फीसदी तक की वृद्धि।
  • शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए दरों में 35 से 40 फीसदी तक की वृद्धि।
  • नए बिजली कनेक्शन की दरों में 25 से 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी।

इन आंकड़ों को देखते हुए स्पष्ट है कि राज्य के कामर्शियल और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए यह वृद्धि 40 से 50 फीसदी तक जा सकती है, जो कि एक बड़ा आर्थिक झटका साबित होगी।

‘व्यापारी और उपभोक्ता नहीं सह पाएंगे इतना बोझ’

कंछल ने कहा कि कोविड-19 के बाद से व्यापारी अभी तक पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं और इस तरह की बिजली दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी उन्हें और भी संकट में डाल देगी। उन्होंने यह भी कहा कि महंगी बिजली के चलते उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे प्रदेश की प्रतिस्पर्धा अन्य राज्यों के मुकाबले कमजोर हो जाएगी।

पड़ोसी राज्यों से तुलना की मांग

व्यापार मंडल ने राज्य सरकार से अपील की है कि उत्तर प्रदेश की बिजली दरों की पड़ोसी राज्यों से तुलना की जाए और दरें उसी स्तर पर रखी जाएं, ताकि उद्योगों को पलायन के लिए मजबूर न होना पड़े। उन्होंने सुझाव दिया कि बिजली के क्षेत्र में सब्सिडी नीति पर पुनर्विचार किया जाए और घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ छोटे व्यापारियों को राहत दी जाए।

राजनीतिक और सामाजिक असर

यह मुद्दा सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक असर भी पैदा कर सकता है। यदि प्रस्तावित वृद्धि लागू होती है, तो यह उत्तर प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं की नाराजगी का कारण बन सकती है, जो कि किसी भी सरकार के लिए चुनावी समय में जोखिमभरा हो सकता है।

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