

अरुण कुमार की विभागीय जीवनकालीन अवशेष धनराशि करीब 58-59 लाख रुपये बताई जा रही है। यही कारण है कि उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र की लड़ाई अब न्यायालय में पहुंच गई है। दोनों पक्ष अब कानूनी तरीके से अपनी-अपनी वैधता साबित करने की कोशिश में हैं।
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Hapur: यह मामला आपका दिमाग घूमा देगा। उत्तराखंड के चमोली में सरकारी कर्मचारी अरुण कुमार की मौत के बाद दो महिलाओं ने खुद को उनकी पत्नी बताकर कानूनी दावा ठोक दिया है। एक ओर मीना ने 2001 की शादी के साक्ष्य पेश किए तो दूसरी ओर चंद्रकला 2005 से साथ रहने की बात कह रही हैं। दोनों ने न्यायालय में सिविल वाद दायर कर दिया है। प्रशासन ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र को विवाद के चलते निरस्त कर दिया है।
क्या है पूरा मामला
सरकारी कर्मचारी अरुण कुमार की मौत के बाद उनके परिवार में ऐसा विवाद सामने आया है। जिसने प्रशासन को भी असहज कर दिया है। दरअसल, अरुण की दो पत्नियां होने का मामला सामने आया है और दोनों महिलाएं खुद को उनकी “असली पत्नी” बताते हुए न केवल साक्ष्य पेश कर रही हैं। बल्कि मृतक की संपत्ति और अधिकारों को लेकर कानूनी लड़ाई में उतर गई हैं।
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कैसे हुई थी मौत
अरुण कुमार उत्तराखंड के चमोली में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। एक जून 2024 को ड्यूटी के दौरान अचानक हृदयगति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद न केवल अंतिम संस्कार को लेकर विवाद खड़ा हुआ, बल्कि अब उत्तराधिकार को लेकर दो महिलाओं के दावे ने प्रशासन को भी उलझन में डाल दिया है।
मीना का क्या है दावा?
हापुड़ की राजनगर कॉलोनी निवासी मीना ने दावा किया है कि वह अरुण की पहली और वैध पत्नी हैं। उन्होंने बताया कि उनका विवाह 26 नवंबर 2001 को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अरुण कुमार वर्मा से हुआ था। उन्होंने यह भी बताया कि शादी के बाद अरुण समय-समय पर घर आते थे और परिवार तथा रिश्तेदारों के सभी आयोजनों में साथ रहते थे। उन्होंने देवी जागरण और अन्य कार्यक्रमों के वीडियोज को साक्ष्य के रूप में पेश किया है।
प्रमाण-पत्र को निरस्त कर दिया
मीना का आरोप है कि अरुण की मृत्यु के बाद उन्हें सीएचसी कर्णप्रयाग द्वारा लिखित में शव सौंपा गया, लेकिन इसके कुछ दिन बाद चमोली की रहने वाली चंद्रकला वर्मा ने खुद को पत्नी बताते हुए उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र के लिए वाद दायर कर दिया। मीना ने जब इस पर आपत्ति जताई तो प्रशासन को जांच करनी पड़ी और अंततः प्रमाण-पत्र को निरस्त कर दिया गया।
चंद्रकला वर्मा का दावा क्या है?
दूसरी ओर चंद्रकला वर्मा का दावा है कि उनका विवाह अरुण से वर्ष 2005 में हुआ था। उन्होंने बताया कि उस समय वह पढ़ाई कर रही थी और उनके पिता ने ही यह रिश्ता तय कराया था। विवाह के बाद अरुण घरजमाई बनकर उनके घर पर ही रहते थे। चंद्रकला ने मीना पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र और दस्तावेजों में हेराफेरी कर उन्हें अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
एसडीएम ने करवाई जांच
अब दोनों महिलाओं ने चमोली न्यायालय में सिविल वाद दायर किया है। मामले के बढ़ते विवाद को देखते हुए चमोली के एसडीएम इला प्रकाश श्रीवास्तव ने जांच करवाई और शनिवार देर शाम दोनों ही उत्तराधिकारी और पारिवारिक सदस्यता प्रमाण-पत्रों को निरस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता। तब तक कोई भी लाभ प्रदान नहीं किया जाएगा।
मामला 58-59 लाख रुपये का
गौरतलब है कि अरुण कुमार की विभागीय जीवनकालीन अवशेष धनराशि करीब 58-59 लाख रुपये बताई जा रही है। यही कारण है कि उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र की लड़ाई अब न्यायालय में पहुंच गई है। दोनों पक्ष अब कानूनी तरीके से अपनी-अपनी वैधता साबित करने की कोशिश में हैं।