

महराजगंज जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संतबली का परिवार आज भी पेंशन से वंचित है। आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी उन्हें सरकारी मान्यता और सहयोग नहीं मिल सका, जिससे परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। 2018 में संतबली के निधन के बाद भी परिवार की लड़ाई जारी है। उनके बेटे चुल्हाई मजदूरी कर घर चलाते हैं और जर्जर मकान में रहने को मजबूर हैं। उनके पास केवल 29 डिसमिल जमीन है और मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।
पेंशन के लिए तरस रहा स्वतंत्रता सेनानी का परिवार
Maharajganj: भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संतबली की कहानी उन अनसुने वीरों में से एक है, जिन्हें आज़ादी के बाद भुला दिया गया। महराजगंज के बांसपार बेजौली बाजार टोला निवासी संतबली ने 1941-42 में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। उन्हें अयोध्या जेल में बंद किया गया और 25 रुपये का जुर्माना भी देना पड़ा था।
हालांकि उनके पास स्वतंत्रता सेनानी का प्रमाण पत्र मौजूद था, लेकिन पेंशन के लिए 1980 से किए गए प्रयास सफल नहीं हो सके। बार-बार दस्तावेज जमा करने और अधिकारियों से गुहार लगाने के बावजूद संतबली और उनकी पत्नी को कोई राहत नहीं मिली। 2018 में संतबली के निधन के बाद भी परिवार की लड़ाई जारी है। उनके बेटे चुल्हाई मजदूरी कर घर चलाते हैं और जर्जर मकान में रहने को मजबूर हैं। उनके पास केवल 29 डिसमिल जमीन है और मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।