

विजयदशमी के अवसर पर राजेंद्र नगर में लगे दशहरा मेले में गुरुवार को एक हृदय विदारक घटना घटी। मेला घूमने आए एक परिवार का पांच वर्षीय मासूम बच्चा अपने परिजनों से बिछड़ गया। परिवारजन रो-रोकर बेहाल हो गए और पूरे मेले में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। पढिए पूरी खबर
दशहरा मेले में बिछड़ा मासूम
गोरखपुर: विजयदशमी के अवसर पर राजेंद्र नगर में लगे दशहरा मेले में गुरुवार को एक हृदय विदारक घटना घटी। मेला घूमने आए एक परिवार का पांच वर्षीय मासूम बच्चा अपने परिजनों से बिछड़ गया। अचानक हुई इस घटना से परिवारजन रो-रोकर बेहाल हो गए और पूरे मेले में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
पुलिस ने बच्चे को गोद में उठाकर...
परिजनों की तलाश और भीड़ के शोर-शराबे के बीच बच्चे को खुद यह भी नहीं मालूम था कि वह कहां से आया है और किसके साथ आया है। वह मासूम अपने माता-पिता का नाम-पता तक नहीं बता पा रहा था। ऐसी स्थिति में बच्चा डरा-सहमा होकर मेले के एक कोने में रो रहा था। तभी गोरखनाथ थाने की पुलिस टीम की नजर उस पर पड़ी। पुलिस ने बच्चे को गोद में उठाकर पहले उसे शांत कराया और उसकी सुरक्षा का जिम्मा अपने हाथों में लिया।
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पुलिसकर्मी लगातार मेले में गश्त..
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर राज करन नय्यर के निर्देशन तथा पुलिस अधीक्षक नगर और पुलिस अधीक्षक अपराध के मार्गदर्शन में क्षेत्राधिकारी गोरखनाथ के पर्यवेक्षण में तैनात पुलिस टीम ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। बच्चे से जुड़ी छोटी-छोटी जानकारियां जुटाने के बाद मेले में लगे माइक से अनाउंसमेंट कराए गए। साथ ही पुलिसकर्मी लगातार मेले में गश्त करते हुए उसके परिजनों की तलाश में जुटे रहे।
आंखों से आंसू छलके
करीब कुछ ही समय बाद पुलिस की मेहनत रंग लाई। हताश और चिंतित परिवारजन अपने लाडले को ढूंढते हुए पुलिस टीम तक पहुंचे। परिजनों ने जैसे ही बच्चे को देखा, खुशी और भावुकता से उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। पुलिस ने औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बच्चे को सकुशल उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया। इस मानवीय पहल के बाद परिजनों ने गोरखनाथ पुलिस का तहेदिल से आभार जताया। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस समय पर मदद न करती तो भीड़-भाड़ में बच्चे को ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता।
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गौरतलब है कि विजयदशमी और अन्य पर्वों पर शहर के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले मेलों में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। ऐसे में बच्चों का भीड़ में बिछड़ना आम बात हो जाती है, लेकिन गोरखपुर पुलिस की सक्रियता और संवेदनशीलता के चलते इस बार एक मासूम की जिंदगी भय और अनिश्चितता से निकलकर फिर से मुस्कान से भर गई। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पुलिस केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर वह समाज की सबसे बड़ी सहारा भी बनती है।