UP News: चंदौली में वनवासियों पर दबंगों का कहर, तोड़ी झोपड़ी, लगाई आग, थाने में नहीं हुई सुनवाई

उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद में देवदत्तपुर गांव से एक बेहद गंभीर और शर्मनाक मामला सामने आया है, जहां दबंगों ने वनवासियों की झोपड़ियों को तोड़कर आग के हवाले कर दिया।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 3 July 2025, 6:16 PM IST
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Chandauli: जिले के चकरघट्टा थाना क्षेत्र अंतर्गत देवदत्तपुर गांव से एक बेहद गंभीर और शर्मनाक मामला सामने आया है, जहां दबंगों ने वनवासियों की झोपड़ियों को तोड़कर आग के हवाले कर दिया। इस बर्बरता के शिकार हुए वनवासी न्याय की गुहार लेकर चकरघट्टा थाने पहुंचे, लेकिन आरोप है कि थानाध्यक्ष वीरेंद्र यादव ने मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, पीड़ित वनवासियों का आरोप है कि यादव जाति के कुछ दबंग लोग संरक्षित जंगल की सैकड़ों एकड़ जमीन पर जबरन कब्जा कर खेती कर रहे हैं। इसके लिए वे न केवल पेड़ काट रहे हैं, बल्कि वर्षों से उस जमीन पर बसे वनवासियों को जबरन खदेड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में इन दबंगों ने कुछ वनवासी परिवारों की झोपड़ियों को नष्ट कर दिया और उन्हें आग के हवाले कर दिया, जिससे उन गरीब परिवारों का सबकुछ जलकर खाक हो गया।

संरक्षित जंगल में अवैध कब्जा

वनवासी जब थाने पहुंचे तो वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। थानाध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने कई बार शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस की निष्क्रियता से नाराज़ वनवासियों ने जब देवदत्तपुर में चल रही नक्सल बैठक के दौरान एएसपी से मुलाकात की, तो उन्होंने मौके पर ही चकरघट्टा थानाध्यक्ष को जमकर फटकार लगाई।

Land Grabbing Issue Chandauli

विरोध करने पर वनवासियों पर टूटा कहर

विरोध करने पर वनवासियों पर टूटा कहर

एएसपी ने थानाध्यक्ष को तुरंत प्रभाव से दबंगों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया और पीड़ितों को आश्वासन दिया कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि संरक्षित जंगल की भूमि पर अवैध कब्जा और पेड़ों की कटाई गंभीर अपराध है, और इसमें शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

वनवासियों ने बताया कि वे पीढ़ियों से उस जमीन पर रह रहे हैं, लेकिन अब दबंग लोग जंगल काटकर कब्जा कर खेती कर रहे हैं। उन्हें डराया, धमकाया और मारा-पीटा जा रहा है। कई परिवारों के पास अब रहने तक की जगह नहीं बची है।

इस घटना ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि गरीब, आदिवासी और वनवासी समुदाय आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। पीड़ितों ने शासन-प्रशासन से अपील की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें सुरक्षा एवं पुनर्वास की गारंटी दी जाए।

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