

उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद के पहाड़ी गांवों में कोटेदारों की मनमानी देखने को मिली है, जहां नमक-पावडर की शर्त पर राशन दिया जा रहा है।
नौगढ़ के वनवासी इलाकों में कोटेदारों की खुली लूट
Chandauli: नौगढ़ तहसील के सुदूरवर्ती और पहाड़ी ग्रामीण इलाकों से एक बेहद गंभीर और अमानवीय मामला सामने आया है। जनपद के मझगाई, गोलाबाद, बौदलपुर, देवखत और अमदहा जैसे गांवों में कोटेदारों द्वारा गरीब आदिवासी और वनवासी परिवारों को राशन वितरण के नाम पर शोषण किया जा रहा है। आरोप है कि कोटेदारों द्वारा लाभार्थियों पर निरमा पावडर और नमक जबरन खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ग्राम्या संस्थान की प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर नीतू सिंह ने इस मामले को मीडिया के सामने उठाया और इसे प्रशासन के समक्ष रखने की बात कही है। उन्होंने बताया कि कोटेदार खुले तौर पर कह रहे हैं कि 'जो नमक और पावडर लेगा, उसी को राशन मिलेगा।' यह स्थिति बेहद शर्मनाक है, क्योंकि वनवासी इलाकों के लोगों के पास पहले से ही राशन कार्ड पर मिलने वाले खाद्यान्न के लिए पैसे नहीं होते, ऐसे में उनसे अन्य वस्तुएं खरीदवाना सीधे-सीधे शोषण और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
स्थानीय बुजुर्गों और ग्रामीणों की मानें तो वे कई वर्षों से कोटेदारों की मनमानी झेलते आ रहे हैं, लेकिन शिकायत करने पर या तो उनकी बात को अनसुना कर दिया जाता है या फिर उन्हें डराया-धमकाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर वे कोटेदार की शर्त नहीं मानते तो उन्हें कई बार राशन से वंचित कर दिया जाता है। कुछ लोगों ने तो यह तक बताया कि कोटेदार द्वारा दिया गया नमक और पावडर मंडी रेट से भी अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है।
गरीबों को मजबूर कर रहे कोटेदार
स्थानीय स्तर पर व्याप्त इस समस्या पर ग्राम्या संस्थान की प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर नीतू सिंह ने कहा, इन पहाड़ी इलाकों के गरीब और वनवासी पहले ही जीवन की मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ऊपर से कोटेदारों का यह व्यवहार उन्हें और भी पीड़ित करता है।
उन्होंने बताया कि कई बार बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे घंटों लाइन में खड़े होकर सिर्फ इसलिए राशन लेने से वंचित हो जाते हैं क्योंकि वे कोटेदार की अनावश्यक शर्तें पूरी नहीं कर पाते।
नीतू सिंह ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी कोटेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, इन इलाकों में राशन वितरण की पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।