

लखनऊ में बिजली निजीकरण के खिलाफ हजारों कर्मचारियों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए सरकार को बड़ी चेतावनी दी हैं। हजारों बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया।
प्रतीकात्मक छवि
Lucknow: लखनऊ में बिजली निजीकरण के खिलाफ हजारों कर्मचारियों ने अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए सरकार को बड़ी चेतावनी दी हैं। हजारों की संख्या में मिलकर बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने साफ चेतावनी दी कि अगर सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई, तो वे अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार बिजली के निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों का आंदोलन केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने देशभर के बिजली कर्मचारियों से जिलों और बिजली परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। उत्तर प्रदेश की विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का दावा है कि प्रदेश के सभी बिजलीकर्मी इस राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं। बिजलीकर्मियों का आरोप है कि सही मूल्यांकन न करने के पीछे वजह यह है कि इससे बिजली कंपनियों की कीमत बढ़ जाती और निजीकरण महंगा हो जाता।
उपभोक्ता परिषद ने भी खोला मोर्चा
बिजलीकर्मियों के साथ-साथ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद भी निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया है कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 131(2) का उल्लंघन किया है उनका कहना है कि अधिनियम के तहत बिजली कंपनियों की परिसंपत्तियों और 25 साल की राजस्व क्षमता का मूल्यांकन करना अनिवार्य है, लेकिन प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया।
राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन
लखनऊ में बिजली निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का माहौल गरमा गया है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में हजारों बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतर आए। कर्मचारियों ने साफ चेतावनी दी कि जिस दिन निजीकरण का टेंडर निकाला जाएगा, उसी दिन से वे अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे।
क्रांतिकारी किसान यूनियन का भी समर्थन
उपभोक्ता परिषद के बाद अब इस आंदोलन को क्रांतिकारी किसान यूनियन का भी समर्थन मिला है। यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल ने किसानों और खेतिहर मजदूरों से अपील की कि वे बिजलीकर्मियों के इस संघर्ष में साथ खड़े हों। वहीं, यूनियन के महासचिव शशिकांत ने कहा कि किसानों की रोजमर्रा की जरूरतों पर बिजली निजीकरण का सीधा असर पड़ेगा।