

रायबरेली जनपद के छोटी बाजार मोहल्ले में इस वर्ष “छोटी बाजार के राजा” के नाम से प्रसिद्ध गणेश पूजा का आयोजन बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ किया गया। यह भव्य उत्सव अपने 51वें वर्ष में प्रवेश करते हुए 27 अगस्त 2025 से आरंभ हुआ और 5 सितंबर 2025 को भव्य विसर्जन शोभा यात्रा के साथ संपन्न हुआ।
Raebareli: रायबरेली जनपद के छोटी बाजार मोहल्ले में इस वर्ष "छोटी बाजार के राजा" के नाम से प्रसिद्ध गणेश पूजा का आयोजन बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ किया गया। यह भव्य उत्सव अपने 51वें वर्ष में प्रवेश करते हुए 27 अगस्त 2025 से आरंभ हुआ और 5 सितंबर 2025 को भव्य विसर्जन शोभा यात्रा के साथ संपन्न हुआ।
इस ऐतिहासिक उत्सव की शुरुआत 1975 में स्वर्गीय चंद्र प्रकाश कक्कड़ द्वारा की गई थी। तब से यह परंपरा कक्कड़ परिवार द्वारा हर वर्ष निभाई जा रही है। वर्तमान में दिनेश कक्कड़ इस आयोजन की कमान संभाल रहे हैं। यह पूजा रायबरेली की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित धार्मिक परंपराओं में मानी जाती है।
पूरे दस दिनों तक सुबह और रात 9 बजे भगवान गणेश की आरती का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। पूजा पंडाल को सुंदर और भव्य रूप से सजाया गया था। 29 अगस्त को विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें सुंदरकांड पाठ, भजन संध्या और संगीतमय भक्ति कार्यक्रमों ने भक्तों को भावविभोर कर दिया।
उत्सव के अंतिम दिन 5 सितंबर को गणेश विसर्जन की शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। भगवान गणेश की सजीव मूर्ति को सजे हुए रथ पर नगर भ्रमण के लिए निकाला गया। ढोल-नगाड़ों की गूंज, जयकारों की गूंज और भक्तों की उमंग से पूरा शहर भक्तिमय हो उठा। यात्रा छोटी बाजार से शुरू होकर मोती बाजार, स्टेशन रोड होते हुए राजघाट स्थित साई नदी के तट तक पहुंची, जहां विधिवत मूर्ति का विसर्जन किया गया।
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"छोटी बाजार के राजा" का यह गणेश उत्सव सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आयोजन रायबरेली की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन चुका है। यह पर्व स्थानीय लोगों को एकजुट करता है और भक्ति, संस्कृति और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
पूरे आयोजन में लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। “गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया” के जयकारों से शहर गूंज उठा। भक्तों ने भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और जीवन की सभी बाधाओं के निवारण की प्रार्थना की। विसर्जन के दौरान श्रद्धालुओं की आंखें नम थीं, लेकिन भावनाओं में आस्था की गहराई थी।
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भविष्य के लिए प्रेरणा
छोटी बाजार के राजा का यह उत्सव न केवल रायबरेली की धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी है। कक्कड़ परिवार और स्थानीय समुदाय के सहयोग से यह परंपरा भविष्य में भी इसी उत्साह और भव्यता से मनाई जाती रहेगी। यह उत्सव रायबरेली के लिए गर्व का विषय है और यह दिखाता है कि किस प्रकार परंपरा, आस्था और समुदाय का संगम समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकता है।