

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद नगर का नाम बदल दिया गया है। इस निर्णय को केंद्र सरकार से भी मंजूरी मिल चुकी है। लंबे समय से इस नाम परिवर्तन की मांग की जा रही थी, जिसे अब साकार रूप दिया गया है।
शाहजहापुर के जलालाबाद को मिला नया नाम (Img: Google)
Shahjahanpur: उत्तर प्रदेश में नगरों के नाम बदलने का सिलसिला लगातार जारी है। इसी क्रम में अब शाहजहांपुर जिले के प्रसिद्ध नगर जलालाबाद का नाम बदलकर 'परशुरामपुरी' कर दिया गया है। इस नाम परिवर्तन को भारत सरकार के गृह मंत्रालय की आधिकारिक स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है।
गृह मंत्रालय ने दी स्वीकृति
गृह मंत्रालय की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यह स्पष्ट कर दिया गया कि केंद्र सरकार को जलालाबाद का नाम 'परशुरामपुरी' करने पर कोई आपत्ति नहीं है। मंत्रालय ने यह पत्र 27 जून 2025 को प्राप्त राज्य सरकार के अनुरोध के जवाब में भेजा। पत्र में यह भी कहा गया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नाम की देवनागरी, रोमन और क्षेत्रीय भाषाओं में वर्तनी सुनिश्चित करने की अनुशंसा की है। इसके अनुरूप आवश्यक राजपत्र अधिसूचना जारी की जानी चाहिए।
इस निर्णय को लेकर केंद्रीय मंत्री और पीलीभीत से सांसद जितिन प्रसाद ने गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सम्पूर्ण सनातन समाज के लिए गर्व का क्षण है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उन्होंने लिखा कि भगवान परशुराम की कृपा से यह पुनीत कार्य संपन्न हो पाया है।
लंबे समय से उठ रही थी मांग
भगवान परशुराम की नगरी कहे जाने वाले जलालाबाद को परशुरामपुरी नाम दिए जाने की मांग वर्षों से की जा रही थी। क्षेत्रीय संगठनों जैसे भगवान परशुराम जन्मभूमि प्रबंध समिति, बाबा परशुराम सर्व कल्याण समिति, राष्ट्रीय बजरंग दल और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद द्वारा समय-समय पर ज्ञापन के माध्यम से यह मांग दोहराई जाती रही है। प्रत्येक माह की 5 तारीख को ज्ञापन सौंपने की परंपरा पिछले एक साल से चल रही थी। अप्रैल 2025 में ‘समाधान दिवस’ के अवसर पर डीएम को भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया था, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने बोर्ड में पारित प्रस्ताव को उच्चाधिकारियों को भेजने की कार्रवाई की थी।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
जलालाबाद को 24 अप्रैल 2022 को भगवान परशुराम की जन्मस्थली के रूप में आधिकारिक मान्यता दी गई थी। यह घोषणा प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह द्वारा एक सार्वजनिक सभा के दौरान की गई थी। उन्होंने मंदिर प्रांगण को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का वादा भी किया था।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
नाम परिवर्तन के साथ-साथ परशुरामपुरी को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने के प्रयास भी तेजी से किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री संवर्धन योजना के तहत मंदिर प्रांगण और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 19 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई है। इसके अलावा, अमृत सरोवर योजना के तहत 11 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई है, जिससे मंदिर के समीप स्थित रामताल को विकसित किया जा रहा है।
इस राशि से घाट, सीढ़ियां, पाथ-वे और मंदिर तक पहुंचने के लिए चौड़ा मार्ग बनाया जा रहा है। इन सभी कार्यों का उद्देश्य श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देना और क्षेत्र को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना है।