

चंदौली के सिंगरौल गांव में स्वच्छ भारत मिशन की सच्चाई उजागर हो गई है। सामुदायिक शौचालय बंद हैं, सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है और गंदगी का आलम बेकाबू है। स्थानीय प्रशासन की उदासीनता ने ग्रामीणों को नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिया है।
स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत
Chandauli: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस (17 सितम्बर) से 2 अक्टूबर तक देशभर में चलाए गए स्वच्छता पखवाड़े की हकीकत उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में खुलकर सामने आ गई है। शहाबगंज विकास खंड के सिंगरौल गांव में स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी सच्चाई गांव की गलियों और सीसी रोड पर पसरी गंदगी बयां कर रही है।
गांव में लाखों रुपये की लागत से बनी सीसी रोड आज गंदगी का अड्डा बन चुकी है। सामुदायिक शौचालय महीनों से बंद पड़ा है, जिसके चलते ग्रामीणों को सड़क किनारे शौच करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जहां एक तरफ सरकार खुले में शौच मुक्त (ODF) भारत की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह गांव बदहाल सफाई व्यवस्था का शिकार बन चुका है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सफाई व्यवस्था नाम मात्र की रह गई है। एक ग्रामीण ने बताया, “जब सीसी रोड बनी थी तो लगा था अब साफ-सफाई रहेगी, लेकिन अब तो हालात और बदतर हो चुके हैं। नाली जाम है, जगह-जगह कूड़े के ढेर हैं और कोई देखने वाला नहीं है।”
शौचालय बंद हैं, सफाई व्यवस्था चरमराई
ग्रामीणों का कहना है कि सामुदायिक शौचालय की मरम्मत या सफाई महीनों से नहीं हुई है। महिलाएं और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। रास्ते से गुजरना भी मुश्किल हो चुका है। कई लोगों ने शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।
जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) नीरज सिन्हा को ग्रामीणों ने दो दिनों से लगातार फोन किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। वहीं, एडीओ पंचायत का कहना है कि शहाबगंज ब्लॉक में 125 पंचायत कर्मी तैनात हैं। लेकिन गांव में सफाई कार्य कभी-कभार रोस्टर के हिसाब से ही होता है।
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गांव की यह स्थिति न सिर्फ स्वच्छ भारत मिशन को सवालों के घेरे में खड़ा करती है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है। सफाई अभियान सिर्फ कागजों पर सीमित नजर आता है, जबकि जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।
एक ग्रामीण ने बताया कि, हम कई बार प्रधान और अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। वहीं दूसरे ग्रामीण ने बताया कि, शौचालय बंद पड़ा है, और नालियां बजबजा रही हैं। क्या यही है स्वच्छ भारत?