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                        यूपी के सोनभद्र जनपद के झरना पंचायत में छह महीने पहले बनी सड़क अब टूटने लगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ। प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और सड़क की तुरंत मरम्मत की मांग उठी है।
                                            ग्रामीणों में रोष
Sonbhadra: नगवां ब्लॉक स्थित झरना ग्राम पंचायत में हाल ही में बनी सड़क की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। लाखों रुपये की लागत से लगभग छह महीने पहले बनी यह सड़क अब जगह-जगह से टूटने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण के समय मानक सामग्री का उपयोग नहीं किया गया और पत्थर व डामर की परतें पतली डाली गईं, जिससे सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं।
स्थानीय निवासी अंकित पासवान ने बताया कि यह सड़क महज छह महीने में ही खराब हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में मानकों की अनदेखी की गई और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। अंकित ने बताया कि “सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिससे हम रोजाना आवागमन में परेशानी झेल रहे हैं।”
सड़क की खराब स्थिति के कारण न केवल वाहन चालकों को दिक्कत हो रही है, बल्कि पैदल चलने वालों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह सड़क बेहद जोखिम भरी हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सड़क जल्द मरम्मत नहीं की गई तो स्थिति और खराब हो सकती है।
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एक अन्य स्थायी निवासी सुबेदार प्रजापति ने भी सड़क निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग की बात कही। उन्होंने कहा, “निर्माण के समय ही हमें अंदेशा था कि यह सड़क ज्यादा दिन नहीं टिकेगी। ठेकेदार ने गुणवत्ता के मानकों का पालन नहीं किया। अब सड़क की हालत देखकर सभी परेशान हैं।”
ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से इस मामले की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द मरम्मत कार्य नहीं किया गया तो वे विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
स्थानीय पंचायत अधिकारियों का कहना है कि सड़क निर्माण में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई है और सभी नियमों का पालन किया गया। वहीं, ग्रामीण इसका खंडन करते हैं और कहते हैं कि निर्माण सामग्री घटिया थी, जो सड़क के जल्दी खराब होने का मुख्य कारण है।
लोगों का मानना है कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान न रखने से न केवल आम जनता को परेशानी होती है, बल्कि सरकार और पंचायत द्वारा किए गए खर्च की भी बर्बादी होती है। सड़कें जब समय से पहले खराब हो जाती हैं, तो उन्हें दोबारा बनाने में अतिरिक्त लागत आती है। इस मामले में अगर जांच की जाती है और दोषियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोका जा सकता है।
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की हालत ऐसी है कि बारिश के मौसम में गड्ढों में पानी भर जाता है और वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है। इसी वजह से बच्चों और बुजुर्गों को स्कूल, अस्पताल और अन्य आवश्यक स्थानों तक पहुंचने में मुश्किल होती है।
स्थानीय लोगों ने सुझाव दिया कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और सामग्री की जांच अनिवार्य होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं की गई, तो भविष्य में और भी सड़कें इसी तरह जल्दी खराब हो सकती हैं।
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ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन जल्द ही इस सड़क का पुनर्निर्माण कराए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि सड़क की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आम जनता की सुरक्षा और सुविधा का मामला है।