

ओबरा तहसील क्षेत्र के आदिवासी दलित समेत अन्य किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। लाख जतन के बाद भी आवारा पशु उनकी फसलों को चर रहे हैं। इससे आदिवासी, दलित और अन्य समुदायों के किसान त्रस्त हैं।
किसानों ने सौंपा डीएम को ज्ञापन
Sonbhadra: सोनभद्र के ओबरा तहसील क्षेत्र के आदिवासी दलित समेत अन्य किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। लाख जतन के बाद भी आवारा पशु उनकी फसलों को चर रहे हैं। इससे आदिवासी, दलित और अन्य समुदायों के किसान त्रस्त हैं। किसानों ने कहा दिन में रखवाली करने से आवारा पशु कम आते है लेकिन जब रात में नींद लग जाती है तो बड़ी संख्या में पशु आकर हमारी फसलों को नष्ट कर देते है। परेशान किसान ओबरा तहसील में सम्पूर्ण समाधान दिवस पर पत्र सौपकर डीएम से गुहार लगाई हैं कि कोई भी उपाय करके समस्या का समाधान निकाला जाए।
ग्रामीण शिवदत्त दुबे ने बताया कि बिल्ली मारकुंडी टोला खैरटिया के किसान दिन रात मेहनत करके किसी तरीके से खेती करते है। आवारा पशुओं किसानों का फसल नष्ट कर बर्बाद कर दे रही हैं। जिस वजह से इस महंगाई के युग में अन्नदाताओं का जीना हराम हो गया है। उनके खून पसीने से जो फसल पैदा होती है उसको जानवर चर जाते हैं। मेहनत करने के बाद फसल घर तक नहीं आ पाती जिससे दुःख होता है।
फसलों के नुकसान से घर के सदस्य भी परेशान होते है। समस्या यह है कि कुछ स्थानीय पशुपालक हैं जो दुग्ध दुहने के बाद पशुओं को छोड़ देते हैं शाम को फिर बांध लेते हैं। शिवदत्त दुबे ने ऐसे पशुपालकों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है ताकि किसानों का फसल नष्ट होने से बच जाये। शिवदत्त दुबे ने बताया कि इससे पहले कई बार संबंधित अधिकारियो को अवगत कराया जा चूका है कि छूटा पशुओं के वजह से किसान परेशान होकर त्रस्त आ चुके है। खून पसीने से एक-एक अन्य को किसान बनाता है, उसका यह परिणाम होता है कि जानवर जाकर फसलों को चर जाते हैं। अन्नदाताओं की समस्या को अधिकारी सुने और छूटा पशुओं पर लगाम लगाया जाए, ताकि किसानों का जीवन सुखद हो।