इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से लौटे शुभांशु: पत्नी और बेटे को गले लगाकर हुए भावुक, पढ़ें पूरी खबर

अंतरिक्ष यात्रा से लौटे एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अपने परिवार से मिलन एक भावनात्मक अनुभव बन गया। अंतरिक्ष में बिताए गए महीनों और कई जटिल मिशनों के बाद उनके लिए यह पल बेहद खास था।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 17 July 2025, 7:18 AM IST
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Lucknow News: लखनऊ के एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से लौटते ही अपनी पत्नी कामना और बेटे को गले लगाकर भावुक स्वागत किया। ह्यूस्टन स्थित मेडिकल रिकवरी और क्वारंटीन सुविधा केंद्र में जब उन्होंने अपनी पत्नी और बेटे से पहली बार मुलाकात की, तो वह पल सिर्फ औपचारिक नहीं बल्कि भावनाओं से भरा रहा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, यह एक लंबी यात्रा थी, जिसमें महीनों की तैयारी, अंतरिक्ष की यात्रा और फिर पृथ्वी पर सुरक्षित लौटने के बाद अपनों की बाहों में आना उनके लिए सबसे कीमती अनुभव था। इस मुलाकात के कुछ खास क्षणों की तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिनमें वह अपनी पत्नी और बेटे को गले लगाते नजर आए।

अंतरिक्ष और मानवीयता का संगम

शुभांशु शुक्ला ने इंस्टाग्राम पर साझा की गई तस्वीरों में बताया कि वह अभी भी क्वारंटीन में हैं। इस दौरान, परिजनों से मिलने के लिए आठ मीटर की दूरी बनाए रखनी होती है। उन्होंने अपने छोटे बेटे को यह समझाया था कि वह उन्हें छू नहीं सकता, जिससे वह मासूमियत से पूछता था क्या मैं हाथ धोकर पापा को छू सकता हूं? उनकी पोस्ट में उन्होंने लिखा अंतरिक्ष अद्भुत है, लेकिन अपनों की बाहों में लौटना उससे भी ज़्यादा है। उनकी ये बातें न केवल एक अंतरिक्ष यात्री के अनुभव को दिखाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि विज्ञान के उच्चतम शिखर तक पहुंचने के बाद भी इंसान की सबसे बड़ी जरूरत 'अपनापन' है।

आंसू और प्यार

जब शुभांशु शुक्ला ने अपनी पत्नी और बेटे को गले लगाया, तब उनकी पत्नी कामना की आंखों से आंसू छलक पड़े। वह वर्षों तक उनके इस मिशन की तैयारी देख चुकी थीं, लेकिन 18 दिन की अंतरिक्ष यात्रा और इसके बाद का क्वारंटीन उन्हें असहनीय इंतजार का सामना करवा चुका था। कामना का कहना था कि उनके दिन अब बेटों के सवालों और प्रार्थनाओं में बीतते थे, लेकिन आज वह अपने पति को अपने पास पाकर बेहद सुकून महसूस कर रही थीं।

इंसान ही अंतरिक्ष को जादुई बनाते हैं

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में शुभांशु ने एक अहम बात साझा की, जो विज्ञान और मानवीयता के रिश्ते को नए तरीके से दर्शाती है। उन्होंने लिखा धरती पर लौटकर अपने परिवार को गले लगाना वही पल था जब मुझे फिर से घर जैसा महसूस हुआ। अंतरिक्ष मिशन जादुई होते हैं, लेकिन उन्हें इंसान ही जादुई बनाते हैं। उनका यह संदेश उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में सफलता, प्रतिष्ठा और विज्ञान के शिखर तक पहुंचने की चाह रखते हैं। वे यह संदेश देते हैं कि अपनों का प्यार और सानिध्य ही जीवन की सबसे बड़ी धरोहर है।

राकेश शर्मा के बाद भारत के दूसरे अंतरिक्ष योद्धा

भारत के अंतरिक्ष मिशन में राकेश शर्मा के बाद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने। 25 जून, 2025 को उन्होंने अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट में सवार होकर अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत की। 26 जून को उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ने के बाद 18 दिन तक वहां रहकर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए।

अंतरिक्ष में खेती की दिशा में क्रांतिकारी कदम

शुभांशु का सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण प्रयोग 'स्प्राउट्स प्रोजेक्ट' था, जिसमें माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्ष की भारहीन स्थिति) में पौधों की वृद्धि का अध्ययन किया गया। यह प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष में सस्टेनेबल फार्मिंग के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है। साथ ही, उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जीवविज्ञान और मटीरियल साइंस से जुड़े कई प्रयोग किए, जो आने वाले दशकों में धरती और अंतरिक्ष दोनों पर विज्ञान की दिशा तय कर सकते हैं।

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