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कफ सिरप के अरबों रुपये वाले नेटवर्क पर ईडी ने कार्रवाई तेज कर दी है। ईडी की राडार पर शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, विभोर राणा, विशाल सिंह, भोला जायसवाल, आसिफ, वसीम और सौरभ त्यागी शामिल हैं। इन सभी की फर्मों के लेन-देन, बैंकिंग रिकॉर्ड और फर्जी बिलिंग की जांच अब ईडी कर रही है।
कफ सिरप
Lucknow: कफ सिरप के अरबों रुपये वाले नेटवर्क पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कार्रवाई तेज कर दी है। इस काला कारोबार में शुभम जायसवाल की करतूत नहीं है। इसमें संगठित और करोड़ों में खेलने वाला ड्रग नेटवर्क है। इसके पीछे कई छिपे चेहरे भी शामिल हैं। इसी वजह से केस में ईडी की एंट्री के बड़े कारोबारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। यूपी से लेकर बिहार, झारखंड, हिमाचल, हरियाणा, बंगाल और बांग्लादेश तक फैला गिरोह कफ सिरप को नशीले ड्रग की तरह बेचकर मोटी कमाई कर रहा था।
कफ सिरप के अरबों रुपये वाले नेटवर्क पर ईडी ने कार्रवाई तेज कर दी है। ईडी की राडार पर शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, विभोर राणा, विशाल सिंह, भोला जायसवाल, आसिफ, वसीम और सौरभ त्यागी शामिल हैं। इनके खिलाफ वाराणसी, जौनपुर, सोनभद्र, लखनऊ, गाजियाबाद, भदोही, सुल्तानपुर, चंदौली, गाजीपुर आदि जिलों में एफआईआर दर्ज है। इन सभी की फर्मों के लेन-देन, बैंकिंग रिकॉर्ड और फर्जी बिलिंग की जांच अब ईडी कर रही है।
यूपी से नेपाल, बांग्लादेश और दुबई तक, जानिये कैसे फैला नकली कफ सिरप का मकड़जाल?
झारखंड की एक दवा कंपनी बड़े पैमाने पर कोडीनयुक्त सिरप तैयार कर रही थी और इसका सुपर स्टॉकिस्ट शुभम जायसवाल की फर्म सैली ट्रेडर्स थी। ईडी ने मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर शुभम के वाराणसी स्थित घर पर समन चस्पा किया है। उसे 8 दिसंबर को ईडी दफ्तर में हाजिर होने का आदेश दिया गया है। एजेंसी ने FSDA से भी पूरी रिपोर्ट मांगी है। जिससे पता चल सके कि किन अधिकारियों की मिलीभगत से नेटवर्क इतने बड़े पैमाने पर खड़ा हुआ।
ईडी जल्द ही आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा से जेल में पूछताछ करेगी। दोनों इस सिंडिकेट के बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं। उनके ठिकानों पर नोटिस चिपकाने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि दोनों की पूछताछ सीधे जेल में तय की गई है। ईडी अब इनके बैंक खातों, संपत्तियों, फर्मों और सप्लाई चैन का पूरा रिकॉर्ड खंगाल रही है। इसके साथ ही दो चार्टर्ड अकाउंटेंट तुषार और विष्णु अग्रवाल भी जांच में आ चुके हैं। इनपर आरोप है कि अवैध कमाई को वैध दिखाने में मदद कर रहे थे।
कई कंपनियां हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड में स्थित थीं। यहीं से सबसे ज्यादा कोडीनयुक्त कफ सिरप की सप्लाई होती थी। इसके बाद यह माल बड़े नेटवर्क के जरिये तस्करी के लिए डायवर्ट कर दिया जाता था। लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी और बहराइच से नेपाल भेजा जा रहा था। वाराणसी और गाजियाबाद की फर्में इसे बांग्लादेश तक पहुंचा रही थीं। हर खेप की कीमत अरबों में थी।
FSDA अब तक एक दर्जन से ज्यादा जिलों में 118 FIR दर्ज करा चुका है। इनमें वाराणसी में 38, जौनपुर में 16, कानपुर नगर में 8, गाजीपुर में 6 FIR शामिल हैं। जांच में सामने आया है कि कई फर्जी फर्में सिर्फ कागज पर चल रही थीं, जिनका काम कोडीनयुक्त सिरप को एक राज्य से दूसरे राज्य तक भेजने के लिए फर्जी बिलिंग करना था।