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उत्तर प्रदेश के कफ सिरप कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। नशे का एक ऐसा दंश जिसने न जाने अबतक पता नहीं कितने घरों के चिराग बुझा दिए। गाजियाबाद, वाराणसी में गोदाम बनाकर इस कफ सिरप की सप्लाई यूपी से झारखंड, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश और बिहार से नेपाल तक की जा रही थी।
कोडिन कफ सिरप
New Delhi: उत्तर प्रदेश के कफ सिरप कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। नशे का एक ऐसा दंश, जिसने न जाने अबतक पता नहीं कितने घरों के चिराग बुझा दिए। गाजियाबाद, वाराणसी में गोदाम बनाकर इस कफ सिरप की सप्लाई यूपी से झारखंड, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश और बिहार से नेपाल तक की जा रही थी। अब STF अमित सिंह टाटा, विभोर राणा, विशाल सिंह के साथ आलोक सिंह को भी रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
देश के तमाम राज्यों और बांग्लादेश आदि देशों में नशीले कफ सिरप की तस्करी के बारे में तथ्य जुटाएगी। आखिर कफ सिरप कांड में यूपी की एंट्री कैसे हो गई? कौन-कौन लोग इसमें शामिल हैं? किन के नाम सामने आ सकते हैं? इस पर ED और STF की जांच कहां तक पहुंची है।
इस पूरे काले कारोबार की भनक तब लगी, जब 18 अक्टूबर को पहली बार यूपी के सोनभद्र जिले में चिप्स और नमकीन के पैकेट में करोड़ों का कोडिन युक्त कफ सिरप मिला। इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को उस वक्त अरेस्ट भी किया। इसके बाद, गाजियाबाद में भी 4 नवम्बर को करोड़ों की कफ सिरप बरामद हुई। इन दोनों मामलों के तार वाराणसी के शुभम जायसाल से जुड़े थे।
2 नवम्बर को इस पूरे खेल में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम के बड़े अफसरों ने विभाग की भूमिका भी संदिग्ध मानी, क्योंकि जांच में ये बात सामने आने लगी कि जिन फर्मों को करोड़ो की कफ सिरप बेची गई है, उनके कई फर्म सिर्फ कागज पर चल रहें हैं, जिसमें अफसरों की भी मिलीभगत थी।
27 नवम्बर को इस मामले में लखनऊ STF की टीम ने अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार कर लिया। अमित सिंह टाटा शुभम जायसवाल का करीबी है और वो इसके काले कारोबार में शामिल भी रहा है। अमित टाटा जौनपुर के पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह का भी करीबी है। उधर लखनऊ में अमित टाटा की गिरफ्तारी हुई और वाराणसी में इस दिन ही 12 और फर्मो के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
ईडी के अधिकारी इस मामले में पूर्वांचल के दो बाहुबलियों और राजनेताओं की कुंडली भी खंगाल रहे हैं, जो शुभम जायसवाल को संरक्षण दे रहे थे। इनमें एक बाहुबली को शुभम द्वारा प्रोटेक्शन मनी भी देने के सुराग मिले हैं। पूर्व सांसद रह चुके इस बाहुबली की कंपनियों के जरिए हुए लेन-देन का पता भी लगाया जा रहा है।
इसका जिम्मा ईडी की प्रयागराज यूनिट को सौंपा गया है। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के उन अधिकारियों का नाम भी पता लगाए जा रहे हैं, जिन्होंने इन फर्मों को लाइसेंस दिया था। इनमें एक सहायक आयुक्त की भूमिका की गहनता से जांच हो रही है।