

उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों के साथ अभद्रता के मामले में सियासत तेज हो गई है। सपा न सिर्फ इस मुद्दे पर मुखर है बल्कि गोरखपुर में तिवारी हाता और हेरिटेज कॉरिडोर के विवाद पर भी सक्रिय है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव
इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों के साथ अभद्रता के मामले में सियासत तेज हो गई है। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी लगभग खामोश है, वहीं समाजवादी पार्टी कानून व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के मुद्दे को आधार बनाकर राज्य सरकार के खिलाफ मुखर है। सपा न सिर्फ इस मुद्दे पर मुखर है बल्कि गोरखपुर में तिवारी हाता और हेरिटेज कॉरिडोर के विवाद पर भी सक्रिय है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस तरह से दो नावों पर सवार होकर राजनीतिक नैया पार लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इटावा की बात करें तो सपा इस पूरे घटनाक्रम को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है। मामला सामने आने के बाद पहले दिन से ही सपा और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम नेता सक्रिय हैं और राज्य सरकार को घेर रहे हैं।
इस बीच एक दिलचस्प बात यह है कि सपा प्रमुख ने अभी तक कहीं भी यह नहीं कहा है कि यादव वर्ग के साथ अन्याय हुआ है। बल्कि वह अपने समर्थकों और प्रदेश को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि एक वर्ग विशेष दलितों के साथ जो करता रहा है, वही पिछड़े वर्ग के साथ भी हो रहा है। इस रणनीति के जरिए अखिलेश दलितों और यादवों के बीच की खाई को पाटने और एक नया समीकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे न सिर्फ उन्हें फायदा हो सकता है बल्कि बहुजन समाज पार्टी को भी नुकसान होने की संभावना है।
अखिलेश चाहते तो कह सकते थे कि यादवों को क्यों पीटा जा रहा है लेकिन ऐसा कहने के बजाय उनका ध्यान इस बात पर है कि पिछड़े वर्ग के लोगों को कथा वार्ता करने से रोका जा रहा है। वहीं अखिलेश इस रणनीति के जरिए ब्राह्मणों को नाराज नहीं करना चाहते हैं, इसलिए सीधे तौर पर उनका नाम लेने या उन पर जुबानी हमला करने के बजाय वह 'दबंग और वर्चस्ववादी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ताकि ब्राह्मण वर्ग सपा और उनसे नाराज न हो जाए। अखिलेश ने शुक्रवार 27 जून को एक बयान में कहा कि - आज पूरा पीडीए समाज 'इटावा कथावाचन पीडीए अपमान प्रकरण' के हर पीड़ित के साथ आवाज उठा रहा है। 'पीडीए' उत्पीड़न के खिलाफ नए ढोल की नई गूंज है। यानी अखिलेश का दावा है कि इस मामले में न सिर्फ पिछड़ा वर्ग बल्कि सवर्ण और समाज के अन्य वर्ग भी पीड़ितों के साथ हैं।
अखिलेश इटावा मामले में पिछड़े वर्ग के साथ-साथ पूर्वांचल में ब्राह्मणों को भी अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। सपा नेता ने गोरखपुर में 'हेरिटेज कॉरिडोर' मामले में सपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव को रोकने पर कहा था कि न तो भाजपा का हाथ पसंद है और न ही पीडीए का। इतना ही नहीं, इटावा मामले में सपा की सक्रियता और नेताओं के बयानों से ब्राह्मण सपा से नाराज न हो जाएं, इसके लिए डैमेज कंट्रोल करने के लिए अखिलेश सुल्तानपुर जाएंगे। यहां वह सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडेय के कार्यालय जाएंगे।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश दो नावों पर सवार होकर सपा की नैया कैसे पार लगाएंगे। अखिलेश के लिए पिछड़े वर्ग को दलितों के साथ लाना और ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर रखना दोधारी तलवार की तरह है। इसमें वह कितना सफल होंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।