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उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर सपा ने आरोप लगाया है कि बीएलओ बड़े पैमाने पर पिछड़ा, मुस्लिम, दलित बहुल क्षेत्रों के वैध मतदाताओं को अनुपस्थित और मृतक बताकर हटाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रयागराज, कानपुर और कन्नौज में लाखों नाम हटाने का दावा।
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Lucknow: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि प्रदेश भर में लाखों मतदाताओं के नाम जानबूझकर काटे जाने की तैयारी की जा रही है। सपा ने कहा कि वोटर लिस्ट पुनरीक्षण प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आ रही हैं और इसका सबसे अधिक प्रभाव उन समुदायों पर पड़ रहा है जिनकी संख्या चुनावों में निर्णायक मानी जाती है।
सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने इस मुद्दे पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा को एक औपचारिक ज्ञापन भेज कर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम तथा दलित आबादी वाले क्षेत्रों में गणना प्रपत्र का न तो शत-प्रतिशत वितरण किया जा रहा है और न ही संग्रह। आरोप है कि गणना प्रपत्र भरते समय बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं को अनुपस्थित, शिफ्टेड, डुप्लीकेट और मृतक श्रेणी में डालकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सपा का कहना है कि यदि यह प्रक्रिया ऐसे ही चलती रही, तो 16 दिसंबर को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में लाखों लोग अपने मताधिकार से वंचित पाए जाएंगे।
कई जिलों में भारी संख्या में नाम हटाने का आरोप
सपा नेताओं के अनुसार, विभिन्न जिलों से जो प्रारंभिक आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। प्रयागराज जिले में 2,94,895 मतदाताओं के नाम डिलीट करने की श्रेणी में डाल दिए गए हैं। कानपुर में 2,17,500 मतदाताओं के नाम इसी प्रकार की श्रेणी में दर्ज किए गए हैं। कन्नौज के तिर्वा विधानसभा क्षेत्र में 444 मतदाताओं को अनुपस्थित व शिफ्टेड बताते हुए सूची से हटाने का प्रस्ताव किया गया है।
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सपा ने यह भी दावा किया है कि प्रयागराज शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में 2003 की मतदाता सूची में मौजूद मतदेय स्थल संख्या 186 से 1143 मतदाताओं के नाम अचानक गायब हो गए हैं। पार्टी का कहना है कि यह संख्या इतनी अधिक है कि इसे किसी तकनीकी गलती या संयोग के रूप में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बीएलओ पर दबाव का भी आरोप
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि संभल जिले में बीएलओ को जल्दबाज़ी में सभी गणना प्रपत्र जमा करने का दबाव बनाया गया, जिसके कारण पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित होने की आशंका है। सपा नेताओं ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण कार्य को जल्दबाज़ी में निपटाने से genuine मतदाताओं के नाम हटने की संभावना और बढ़ जाती है।
सपा ने जांच और संशोधन की मांग की
समाजवादी पार्टी ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच, पुनरीक्षण प्रक्रिया की समीक्षा और गणना प्रपत्रों में संशोधन एवं पुनः सत्यापन की मांग की है। पार्टी का कहना है कि मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला होती है और इसमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ प्रदेश की निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।