Raebareli News: शहीद स्मारक स्थल पर हिंदी दिवस का आयोजन, योग साधकों की उपस्थिति में हुआ कार्यक्रम

रायबरेली के मुंशीगंज शहीद स्मारक पर हिंदी दिवस के अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में योग साधकों की उपस्थिति में हिंदी भाषा के महत्व पर चर्चा की गई। डॉ. किरन श्रीवास्तव ने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

Raebareli: रायबरेली में रविवार को हिंदी दिवस के अवसर पर मुंशीगंज स्थित शहीद स्मारक ऐतिहासिक स्थल पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन मातृभूमि सेवा मिशन इकाई रायबरेली द्वारा किया गया, जिसमें प्रमुख रूप से योग साधकों की उपस्थिति रही।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कार्यक्रम की अध्यक्षता फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज की हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्रीमती किरन श्रीवास्तव ने की। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई। इस दौरान उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि आजादी के 78 वर्ष बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका है।

हिंदी को राष्ट्रीय सम्मान दिलाने की आवश्यकता

डॉ. श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार को हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने बताया कि संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी (देवनागरी लिपि) को राजभाषा का दर्जा दिया था। यह निर्णय भारत की पहचान के रूप में हिंदी को मान्यता देने के लिए किया गया।

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हिंदी और योग का संबंध

कार्यक्रम में डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम के समय महापुरुषों ने हिंदी को जनजागरण का एक मजबूत माध्यम बनाया था। उन्होंने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा रायबरेली में चलाए जा रहे निःशुल्क योग कार्यों की भी सराहना की और मिशन के संस्थापक डॉ. प्रकाश मिश्रा और जिला संयोजक प्रदीप पांडेय को बधाई दी।

योग साधकों को दी शुभकामनाएं

इसके साथ ही डॉ. श्रीवास्तव ने सभी योग साधकों और हिंदी प्रेमियों को शुभकामनाएं दी और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे संस्कारों और हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि हिंदी केवल भाषा नहीं, बल्कि हमारी पहचान और एकता का प्रतीक है।

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कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के अंत में सभी ने मातृभूमि सेवा मिशन के कार्यों की सराहना की और एकजुट होकर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कृतसंकल्प होने का संकल्प लिया।

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