Pratapgarh News: बाबा घुइसरनाथ धाम में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर

जनपद का पौराणिक शिवधाम बाबा घुइसरनाथ धाम श्रद्धा, आस्था और भक्ति के रंग में रंगा नजर आया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 9 June 2025, 9:00 PM IST
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प्रतापगढ़: ज्येष्ठ माह के अंतिम सोमवार को जनपद का पौराणिक शिवधाम बाबा घुइसरनाथ धाम श्रद्धा, आस्था और भक्ति के रंग में रंगा नजर आया। दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं की भीड़ ने भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित कर आराधना की। मंदिर में अलसुबह से ही दर्शन-पूजन और जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लग गईं। जैसे ही गर्भगृह का कपाट खुला, “हर हर महादेव” के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार सुबह भोर से शुरू हुआ जलाभिषेक देर शाम तक अनवरत जारी रहा। श्रद्धालु अपने साथ गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भांग और पुष्प लेकर शिवलिंग पर अर्पित करते नजर आए। मंदिर के गर्भगृह की परिक्रमा कर श्रद्धालु भोलेनाथ से अपने परिवार की सुख-शांति और मनोकामना पूर्ति की कामना करते दिखे।

मां आदिशक्ति की विशेष पूजा अर्चना

इस मौके पर मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर बालाजी और मां आदिशक्ति दुर्गा की भी विशेष पूजा अर्चना की गई। श्रद्धालु इन देवी-देवताओं के समक्ष भी आरती और भोग अर्पण करते दिखे। मंदिर के मुख्य महंत मयंकभाल गिरि ने बताया कि, “ज्येष्ठ माह में भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक विशेष पुण्य फलदायी मानी जाती है। सोमवार को किया गया जलाभिषेक भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति और मनोवांछित फल प्रदान करता है।”

बाबा घुइसरनाथ धाम में उमड़े श्रद्धालु

पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने बाबा घुइसरनाथ धाम परिसर में लगे मेले का भी आनंद लिया। मेले में बच्चों के लिए झूले, खिलौने, मिठाइयों की दुकानों से लेकर धार्मिक वस्तुओं की बिक्री करने वाले स्टॉलों की भरमार रही। लोगों ने इस मौके को पारिवारिक आनंद के रूप में भी मनाया।

शिवालयों में भी पुलिस बल तैनात

जिले के अन्य शिवालयों में भी श्रद्धालु जलाभिषेक और दर्शन-पूजन के लिए पहुंचे। प्रशासन की ओर से मंदिर परिसर और मेले में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे पूरे दिन कहीं से किसी प्रकार की अव्यवस्था की सूचना नहीं मिली।

बाबा घुइसरनाथ धाम में भव्य आयोजन

श्रद्धा, आस्था और अध्यात्म के संगम से सराबोर बाबा घुइसरनाथ धाम का यह आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक समरसता और जनसंपर्क का भी सशक्त मंच दिखाई दिया।

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