

महराजगंज जिले में निजी हॉस्पिटल की लापरवाही से हुई युवा इंजीनियर की मौत के मामले में जांच 15 दिनों से अटकी हुई है। परिजन लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं, जबकि प्रशासनिक टालमटोल ने आक्रोश को और बढ़ा दिया है।
मृतक इंजीनियर (फाइल फोटो)
Maharajganj: निचलौल के मोजरी गांव के युवा इंजीनियर दिनेश कुशवाहा की मौत ने निजी हॉस्पिटल की लापरवाही और प्रशासनिक जटिलताओं को उजागर कर दिया है। दिनेश, जो नेपाल में इंजीनियर का काम कर रहे थे, पेट में पथरी की शिकायत के चलते 14 जून को नगर के दयागीत हॉस्पिटल में भर्ती हुए। यहां उनका लैप्रोस्कोपिक (दूरबीन) ऑपरेशन किया गया, जिसमें मरीज से लाखों रुपये लिए गए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवागददाता के अनुसार, ऑपरेशन के बाद दिनेश की हालत बिगड़ने लगी। गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें गोरखपुर के सिटी अस्पताल में रेफर किया, वहां भी भारी शुल्क वसूला गया। लेकिन ऑपरेशन में कथित लापरवाही के कारण उनकी जान नहीं बचाई जा सकी और वह नश्वर हो गए।
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मृतक के परिजन तब से न्याय की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। उन्होंने जिलाधिकारी महराजगंज से मिलकर न्याय की गुहार लगाई, जिसके बाद जिलाधिकारी ने मामले की जांच सीएमओ को सौंप दी। सीएमओ ने मामले की जांच शुरू की, लेकिन 15 दिनों से रिपोर्ट अभी तक नहीं आई।
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सूत्रों का कहना है कि जांच रिपोर्ट में लगातार संशोधन किया जा रहा है। मुख्य बाधा यह है कि दयागीत हॉस्पिटल के संचालक द्वारा ऑपरेशन का लैप्रोस्कोपिक सर्टिफिकेट अभी तक जांच समिति को उपलब्ध नहीं कराया गया। यही सर्टिफिकेट अब तक जांच रिपोर्ट को लटका रहा है। इस कारण परिजन में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है।
परिजन का आरोप है कि उन्हें न्याय दिलाने की बजाय प्रशासनिक प्रक्रियाओं में उलझाया जा रहा है। उनका कहना है कि एक सर्टिफिकेट के अभाव में जांच लटक रही है, जबकि उनके बेटे की जान चली गई। यह पूरी घटना निजी हॉस्पिटल में चल रही लापरवाही और आर्थिक शोषण को भी उजागर करती है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार परिजन अब सीएमओ और जिलाधिकारी से निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।