

उत्तर प्रदेश के महोबा में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
महोबा जिला चिकित्यालय का है मामला(सोर्स-इंटरनेट)
महोबा: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली और जिला अस्पताल में व्याप्त लापरवाही का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने न केवल प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि आम जनता के बीच गहरा आक्रोश भी पैदा किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ये मामला महोबा के मुल्ला के खुड़ा इलाके का है। जहाँ कालीदीन अहिरवार नाम के एक व्यक्ति अपने चार वर्षीय बेटे हरीश को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। हरीश को तेज बुखार था और उसे तत्काल चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता थी। बच्चे को वार्ड नंबर तीन में भर्ती किया गया, इस उम्मीद के साथ कि उसे उचित इलाज मिलेगा और उसकी हालत में सुधार आएगा।
जिला अस्पताल में जो हुआ, उसने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने न केवल बीमार बच्चे का इलाज करने से साफ इनकार कर दिया, बल्कि उन्होंने बच्चे के परिजनों, विशेष रूप से उसकी माँ रामकली के साथ अभद्रता भी की। स्टाफ का रवैया इतना असंवेदनशील था कि उन्होंने परिजनों को वार्ड से बाहर धकेल दिया। यह घटना किसी भी सभ्य समाज में अस्वीकार्य है, जहाँ बीमार और जरूरतमंद लोगों को मदद की उम्मीद होती है।
अपने बीमार बेटे की हालत देखकर और अस्पताल स्टाफ के इस अमानवीय व्यवहार से आहत होकर, रामकली ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने पूरे मामले को एक सार्वजनिक मुद्दा बना दिया। वह अपने तेज बुखार से पीड़ित बेटे को लेकर अस्पताल के मुख्य गेट के बाहर सड़क पर लेट गईं। यह उनका दर्द, उनकी निराशा और व्यवस्था के प्रति उनका विरोध था। यह दृश्य हृदय विदारक था और इसने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।
घटना की सूचना तेजी से फैली और स्थानीय पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, निगरानी ड्यूटी पर तैनात नायब तहसीलदार विनय गोयल भी घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली और अस्पताल स्टाफ के इस निंदनीय व्यवहार पर कड़ी फटकार लगाई। नायब तहसीलदार ने रामकली को समझा-बुझाकर शांत किया और यह सुनिश्चित किया कि बच्चे को पुनः अस्पताल में भर्ती किया जाए और उसे उचित इलाज मिले। यह प्रशासनिक हस्तक्षेप आवश्यक था, लेकिन यह सवाल उठाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न ही क्यों हुई।
इस घटना ने स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों के बीच भी गहरा आक्रोश पैदा किया है। भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष जनक सिंह परिहार भी अस्पताल पहुंचे और उन्होंने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर अपनी तीव्र नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि अस्पताल की व्यवस्थाओं में तत्काल सुधार नहीं किया गया और मरीजों को बेहतर सुविधाएं प्रदान नहीं की गईं, तो संगठन उग्र प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगा। यह चेतावनी दर्शाती है कि जनता अब और अधिक लापरवाही बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।
यह घटना महोबा जिला अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था और लापरवाही का कोई अकेला मामला नहीं है। ऐसी शिकायतें पहले भी आती रही हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि मजिस्ट्रेट की तैनाती के बावजूद, अस्पताल में लापरवाही का सिलसिला जारी है। यह दर्शाता है कि केवल प्रशासनिक अधिकारियों की तैनाती पर्याप्त नहीं है; बल्कि, जमीनी स्तर पर कार्यप्रणाली में सुधार और कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है।