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उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के दो प्रमुख टोल प्लाजा सेमराराजा टोल प्लाजा और हड़हवा टोल प्लाजा, एक बड़े वित्तीय घोटाले में फंस गए हैं। निबंधन विभाग की जांच में दोनों टोल संचालकों द्वारा स्टांप ड्यूटी में चोरी का मामला सामने आया है।
टोल प्लाजा (Img: Google)
Maharajganj: सेमरा टोल प्लाजा पर करोड़ों रुपये के अनुबंधों पर मात्र कुछ सौ रुपये का स्टांप शुल्क जमा कर सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया गया। इस पूरे प्रकरण में सहायक महानिरीक्षक निबंधन (AIG स्टांप) आलोक कुमार ने मेसर्स रक्षक सिक्यूरिटास प्राइवेट लिमिटेड (ठेकेदार - हड़हवा टोल प्लाजा) और मेसर्स एसएस कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (ठेकेदार - सेमराराजा टोल प्लाजा) के खिलाफ निबंधन न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इन दोनों मामलों में कुल 11,04,180 रुपये की स्टांप ड्यूटी चोरी पाई गई है, जिसकी वसूली के लिए कलेक्टर (स्टांप) को कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और आयुक्त स्टांप प्रयागराज के निर्देश पर जिले के सभी टोल अनुबंधों की गहन जांच की जा रही थी। इसी क्रम में जब एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) द्वारा जारी अनुबंध पत्रों की जांच की गई, तो भारी अनियमितताएं सामने आईं।
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जांच में पता चला कि दोनों टोल प्लाजा के ठेकेदारों ने लीज अनुबंध के रूप में दर्ज अपने समझौतों पर देय स्टांप शुल्क का मात्र एक अंश ही अदा किया था। विभाग ने इसे भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा 17 और 33(4) का स्पष्ट उल्लंघन माना।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, एनएचएआई ने 5 मई 2025 को मेसर्स रक्षक सिक्यूरिटास प्राइवेट लिमिटेड, टी-5, प्लॉट नंबर-012, मनीष प्लाजा-III, द्वारका, नई दिल्ली के साथ अनुबंध किया था। यह अनुबंध 6 मई 2025 से 6 मई 2026 तक एक वर्ष के लिए लागू है। कुल अनुबंध राशि 1,25,29,000 (एक करोड़ पच्चीस लाख उन्नतीस हजार रुपये) निर्धारित की गई थी।
भारतीय स्टांप अधिनियम के अनुसार, इस प्रकार के लीज अनुबंध पर कुल राशि का 2 प्रतिशत स्टांप शुल्क देय होता है। इस हिसाब से हड़हवा टोल प्लाजा अनुबंध पर 2,50,580 रुपये का स्टांप शुल्क देना था, लेकिन ठेकेदार कंपनी ने मात्र 200 रुपये का स्टांप लगाया। यह सीधे तौर पर भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि भारत में निष्पादित किसी भी अनुबंध पर निष्पादन से पूर्व या उसी समय स्टांप शुल्क का भुगतान अनिवार्य है।
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इसी प्रकार, सेमराराजा टोल प्लाजा के अनुबंध की जांच में भी गंभीर वित्तीय गड़बड़ी पाई गई। मेसर्स एसएस कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (मुख्यालय- गोरखपुर रोड, महराजगंज) ने करोड़ों रुपये के अनुबंध पर भी निर्धारित 2 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी का भुगतान नहीं किया।
विभागीय गणना के अनुसार, सेमराराजा टोल प्लाजा पर देय स्टांप शुल्क 7,53,800 रुपये था, लेकिन ठेकेदार कंपनी ने इसकी जगह बहुत कम राशि जमा की। इस तरह दोनों टोल प्लाजा मिलाकर कुल 11,04,180 रुपये की स्टांप ड्यूटी चोरी का मामला सामने आया है।
सहायक महानिरीक्षक निबंधन आलोक कुमार द्वारा जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट के सिविल अपील संख्या 8985/2013 (रीवा टोल वे प्रा. लि. बनाम मध्य प्रदेश राज्य) का उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है कि “किसी भी टोल प्लाजा पर टोल वसूली का अधिकार प्रदान करने वाला अनुबंध ‘लीज’ की परिभाषा में आता है, क्योंकि इसमें ठेकेदार को एक निश्चित समय के लिए निश्चित मूल्य पर भूमि और संरचना के उपयोग का अधिकार दिया जाता है।”