

फरेंदा क्षेत्र के रामनगर में दो दशक पूर्व बना एएनएम सेंटर अब अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
स्वास्थ्य उपकेंद्र
महराजगंज: उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक तरफ स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सजग और तत्पर दिख रही है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से बनी व्यवस्थाएं खुद बदहाली का शिकार हो रही हैं। गोरखपुर के फरेंदा क्षेत्र के ग्राम रामनगर में दो दशक पहले लाखों की लागत से बना एएनएम सेंटर आज भी विभाग को हैंडओवर नहीं हो सका है। जिसके चलते, यह भवन उपयोग में आने से पहले ही जर्जर हो गया है और इसकी अवस्था बदहाल हो गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो वर्षों पहले हरिहरपुर, रामनगर में बना यह स्वास्थ्य उपकेंद्र आज तक न किसी मरीज की सेवा कर सका और न ही स्वास्थ्य कर्मियों ने इसका कोई उपयोग किया। स्वास्थ्य केंद्र की खिड़कियां टूट चुकी हैं, दरवाजे गायब हैं, फर्श उखड़ चुका है और किचन खंडहर में तब्दील हो चुका है।
बिना सेंटर के कैसे हो सेवा?
जानकारी के अनुसार, एएनएम को मजबूरन टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों या स्थानीय लोगों के दरवाजों का सहारा लेना पड़ता है, जिससे न केवल कार्यों में असुविधा होती है, बल्कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्वास्थ्य विभाग की सफाई
बता दें कि इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बनकटी के अधीक्षक डॉ. एमपी सोनकर ने बताया कि एएनएम सेंटर का निर्माण तो हो चुका है, लेकिन अब तक यह स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर नहीं किया गया है। जिसके चलते यह उपयोग में आने से पहले ही जर्जर अवस्था में आ गया है।
प्रशासनिक चूक या जिम्मेदारी से भागना?
फिलहाल, अब सवाल यह उठता है कि जब निर्माण कार्य पूरा हो गया तो हैंडओवर में दो दशक का विलंब क्यों? यह प्रशासनिक लापरवाही है या जिम्मेदार विभागों की आपसी तालमेल की कमी? दूसरी तरफ, स्थानीय नागरिकों ने यह मांग की है कि स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए तत्काल इस उपकेंद्र को विभाग को सुपुर्द कर सेवा में लाया जाए। ताकि इस जर्जर भवन की हालत में सुधार हो सके और स्थानीय लोगों को इस स्वास्थ्य उपकेंद्र का लाभ मिले। अब देखना ये है कि प्रशासन इसपर क्या एक्शन लेता है।