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हरदोई में 2010 के अविनाश हत्याकांड में दोषी अनिल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। डीएनए रिपोर्ट में पुष्टि के बाद 15 साल बाद परिवार को न्याय मिला।
हरदोई जिला कोर्ट
Hardoi: हरदोई जिले में उन्नाव के बांगरमऊ क्षेत्र में 2010 के अविनाश उर्फ महेंद्र हत्याकांड में आखिरकार न्याय हुआ। अपर जिला जज कोर्ट संख्या-3 के न्यायाधीश योगेंद्र चौहान ने दोषी अनिल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले के साथ पीड़ित परिवार को 15 साल बाद न्याय मिला।
यह मामला 28 सितंबर 2010 की घटना से जुड़ा है। 20 वर्षीय अविनाश उर्फ महेंद्र के पिता मदनलाल ने 3 फरवरी 2011 को कासिमपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि दुलारपुर आंट कासिमपुर निवासी अनिल उनके बेटे को नौकरी दिलाने के बहाने अपने साथ ले गया। दोनों के बीच पैसों को लेकर पहले से विवाद था।
घटना के छह माह बाद आरोप तय कर दिए गए थे और चार माह में गवाही भी पूरी हो गई थी, लेकिन डीएनए रिपोर्ट का 13 साल बाद आना इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया में लंबी देरी का मुख्य कारण रहा।
1 जनवरी 2011 को सई नदी किनारे एक खेत में सिंचाई के दौरान पाइप में फंसी बोरीनुमा पॉलीथिन में मानव खोपड़ी, जांघ और कंधे की हड्डियां बरामद हुई। पॉलीथिन में मिली एक डायरी में लिखे नंबरों से मृतक की पहचान का संदेह हुआ। किसान ने डायरी में दर्ज पहले नंबर पर फोन किया, जो मृतक के चाचा कमलेश का था।
शुरुआत में पुलिस ने कंकाल की पुष्टि न होने के कारण रिपोर्ट दर्ज नहीं की, लेकिन तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के आदेश पर 3 फरवरी 2011 को अनिल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर दिया गया। पूछताछ में अनिल ने स्वीकार किया कि उसने पुरानी रंजिश के चलते अविनाश को नदी में डुबोकर मार डाला और शव को बोरी में भरकर फेंक दिया था।
9 मई 2011 को अविनाश के माता-पिता के रक्त के नमूने और बरामद हड्डियों को डीएनए जांच के लिए भेजा गया। यह रिपोर्ट 13 साल बाद 30 सितंबर 2024 को प्राप्त हुई, जिसमें पुष्टि हुई कि हड्डियां अविनाश की ही थी। डीएनए रिपोर्ट आने के बाद सुनवाई में तेजी आई और लगभग 11 माह बाद कोर्ट ने दोषी अनिल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।