

जालौन के मुख्य नाले की सफाई का कार्य नगर पालिका परिषद उरई ने मशीनों से शुरू किया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
जेसीबी मशीनें से शुरु हुआ नाला सफाई का कार्य
उरई (जालौन): शहर के हृदय से गुजरने वाला मुख्य नाला, जो कभी जल निकासी का महत्वपूर्ण माध्यम हुआ करता था, इन दिनों गंदगी और कचरे से अटा पड़ा था। इस नाले की नारकीय स्थिति और उससे आसपास के क्षेत्रों में फैल रही बीमारियों के गंभीर खतरे को लेकर पिछले दिनों समाचार पत्रों में प्रमुखता से खबरें प्रकाशित हुई थीं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार,इन खबरों ने शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थीं। नाले की इस भयावह स्थिति के कारण बारिश के मौसम में जलभराव का खतरा भी मंडरा रहा था, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो सकता था।
समाचारों में नाले की दुर्दशा उजागर होने के बाद आखिरकार नगर पालिका परिषद उरई के जिम्मेदार अधिकारियों की नींद खुली। मंगलवार को पालिका प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शहर के मुख्य राजमार्ग के किनारे से गुजरने वाले इस नाले की सफाई का कार्य शुरू करवाया। सफाई के लिए जेसीबी मशीनों का उपयोग किया गया। प्रारंभिक चरण में नाले में पड़ी भारी मात्रा में पॉलीथिन और अन्य ऊपरी कचरे को हटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह कार्य नाले के बाहरी हिस्से को कुछ हद तक राहत प्रदान करने में सहायक सिद्ध हुआ है।
हालांकि, पालिका द्वारा शुरू किया गया यह सफाई अभियान अभी अधूरा प्रतीत हो रहा है। जेसीबी मशीनों से केवल नाले के ऊपरी सतह पर जमा पॉलीथिन और बड़े कचरे को ही हटाया जा सका है। नाले के अंदर वर्षों से जमी हुई सिल्ट की मोटी परत को अभी भी साफ नहीं किया गया है। यह सिल्ट ही वास्तव में नाले की जल निकासी क्षमता को अवरुद्ध कर रही है और दुर्गंध तथा बीमारियों का मुख्य कारण है। सिल्ट को हटाने के लिए विशेष उपकरणों और अधिक गहन सफाई अभियान की आवश्यकता है, जिसकी फिलहाल कमी दिखाई दे रही है।
यह मुख्य नाला शहर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बारिश के पानी की निकासी का प्राथमिक मार्ग है। यह नाला शहर के मुहल्ला तुलसीनगर से अपना सफर शुरू करता है और गोपालगंज होते हुए मुख्य राजमार्ग के किनारे से निकलता है। इसके बाद यह घनी आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरता हुआ मलंगा नदी में जाकर तिलकनगर कसाई मंडी के पास मिलता है। इस लंबे और विस्तृत नाले का सुचारू रूप से कार्य करना पूरे शहर के लिए आवश्यक है ताकि बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हर वर्ष बारिश के मौसम से पहले नाला सफाई के लिए सरकार की ओर से एक बड़ा बजट आवंटित किया जाता है। इस बजट का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि बारिश के दौरान शहर के किसी भी हिस्से में जलभराव की स्थिति पैदा न हो। यदि यह बजट सही तरीके से उपयोग किया जाए और नाले की नियमित व प्रभावी सफाई की जाए, तो शहर को जलभराव और उससे जुड़ी समस्याओं से बचाया जा सकता है। वर्तमान स्थिति यह सवाल खड़ा करती है कि क्या यह बजट सही मायने में नाले की सफाई पर खर्च किया जा रहा है या नहीं।
नगर पालिका द्वारा पॉलीथिन हटाने का कार्य एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। शहर को जलभराव और बीमारियों से बचाने के लिए नाले की सिल्ट को हटाना अत्यंत आवश्यक है। पालिका प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से नाले की गहन सफाई के लिए आवश्यक संसाधन और उपकरण उपलब्ध कराए। इसके साथ ही, भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो, इसके लिए नाले के नियमित रखरखाव और सफाई की एक प्रभावी योजना बनाई जानी चाहिए। नागरिकों को भी चाहिए कि वे नाले में कचरा न फेंकें और पालिका प्रशासन का सहयोग करें ताकि शहर स्वच्छ और स्वस्थ रह सके।