टीनएजर्स की बढ़ती सेक्सुअल एक्टिविटी बनी चिंता का कारण, STD और अनचाही प्रेग्नेंसी के मामले बढ़े, पढ़ें चौकाने वाले आकड़े

लखनऊ में टीनएज लड़कियों के बीच सेक्सुअल एक्टिविटी तेजी से बढ़ रही है। जिससे अनचाही प्रेग्नेंसी, यौन संक्रमण (STD) और मानसिक समस्याएं सामने आ रही हैं। सरकारी अस्पतालों में हर महीने सौ से अधिक मामले दर्ज हो रहे हैं, जहां किशोरियां इन परेशानियों के इलाज और काउंसलिंग के लिए पहुंच रही हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 20 July 2025, 12:30 PM IST
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Lucknow News: लखनऊ में टीनएजर्स तेजी से सेक्सुअली एक्टिव हो रहे हैं, जिससे अनसेफ सेक्स और जागरूकता की कमी के कारण यौन संक्रमण, अनचाही प्रेग्नेंसी और मानसिक तनाव जैसी गंभीर समस्याएं सामने आ रही हैं। सरकारी अस्पतालों में हर महीने दर्जनों किशोरियां इन समस्याओं के इलाज और काउंसलिंग के लिए पहुँच रही हैं।

तेजी से सेक्सुअली एक्टिव हो रहे टीनएजर्स

लखनऊ के चार प्रमुख सरकारी अस्पतालों में हर महीने 100 से अधिक केस सामने आ रहे हैं, जिनमें टीनएज गर्ल्स सेक्सुअल एक्टिविटी के चलते गंभीर यौन संक्रमण या अनवांटेड प्रेग्नेंसी जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं। यह स्थिति केवल सरकारी अस्पतालों तक सीमित नहीं, बल्कि निजी अस्पतालों में भी ऐसे मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

KGMU की स्त्री रोग विभाग प्रमुख प्रो. अंजू अग्रवाल का कहना है कि अब लड़कियां टीनएज में ही सेक्सुअली एक्टिव हो रही हैं और इसे छुपाने की बजाय खुलकर सामने आ रही हैं। उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में लड़कियां प्रेग्नेंट हो रही हैं और संक्रमण का शिकार हो रही हैं, जिसका मुख्य कारण कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल न करना है।

इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव का रेगुलर इस्तेमाल खतरनाक

डॉ. अंजू ने यह भी बताया कि किशोरियां इमरजेंसी पिल को रेगुलर इस्तेमाल करने की भूल कर रही हैं, जबकि यह केवल आपात स्थिति में ही लिया जाना चाहिए। KGMU में हर महीने ऐसे 15-20 केस आते हैं, जिनमें किशोरियां इलाज और काउंसलिंग के लिए आती हैं।

अवंतीबाई अस्पताल में भी बढ़ रहे हैं मामले

अवंतीबाई महिला अस्पताल की निदेशक डॉ. रेनू पंत के अनुसार, युवतियों में पीरियड से जुड़ी समस्याएं आम होती जा रही हैं, जिनके पीछे असुरक्षित यौन संबंध और शरीर की सफाई की कमी बड़ी वजह है। यहां के अर्श क्लिनिक में बड़ी संख्या में टीनएजर्स को काउंसलिंग और मेडिकल एडवाइस दी जाती है।

सेफ सेक्स के प्रति उदासीनता और जागरूकता की कमी

साथिया क्लिनिक की काउंसलर अंजू चित्रांशी का कहना है कि कई बार लड़कियों में गंभीर इचिंग, पीरियड की गड़बड़ी के साथ जब वे आती हैं, तब पता चलता है कि वे सेक्सुअली एक्टिव हैं। कुछ मामलों में उनके मल्टीपल पार्टनर भी होते हैं। उन्हें किसी पर दबाव डाले बिना केवल सेफ सेक्स और हाइजीन को लेकर गाइड किया जाता है।

मानसिक समस्याएं भी बन रहीं खतरा

झलकारी बाई महिला अस्पताल की अधीक्षक डॉ. ऊषा यादव बताती हैं कि हर महीने करीब 15 किशोरियां यौन संबंधों से जुड़ी मेडिकल समस्याओं के साथ पहुंचती हैं। इनमें कई डिप्रेशन, आत्महत्या की प्रवृत्ति और आत्मविश्वास की कमी जैसी मानसिक परेशानियों से भी जूझ रही होती हैं।

पीरियड इशू और यौन संक्रमण की बढ़ती दर

लोकबंधु राजनारायण संयुक्त अस्पताल की डॉ. नीलम अहिरवार बताती हैं कि हर महीने 20 से 25 केस गंभीर पीरियड समस्याओं और यौन संक्रमण से जुड़े होते हैं। समय से पहले सेक्सुअली एक्टिव होना, निजी सफाई की अनदेखी और मेडिकल ज्ञान की कमी इनके पीछे की बड़ी वजह है।

सेक्स एजुकेशन की कमी बना रही हालात खराब

नारायणा लैबोरेटरी की डायरेक्टर डॉ. अर्चना सिंह का मानना है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट से मिली अधूरी जानकारी किशोरों को भ्रमित कर रही है। स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की कमी और घरों में इन विषयों पर खुलकर बात न होना भी इस स्थिति को गंभीर बना रहा है।

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