

एचएफएमडी का प्रकोप दिल्ली और यूपी में बढ़ा है। यह बीमारी बच्चों में अधिक फैल रही है। संक्रमण के लक्षणों में बुखार, गले में खराश और हाथ-पैर-मुंह में छाले होते हैं। संक्रमण फैलने से बचाव के उपाय अपनाएं।
एचएफएमडी का खतरा बढ़ा (सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: हैंड, फुट ऐंड माउथ डिजीज (HFMD) या हाथ, पैर और मुँह की बीमारी इन दिनों दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तेजी से फैल रही है। खासकर 10 साल तक के बच्चों में यह संक्रमण काफी ज्यादा देखे जा रहे हैं। हालांकि, यह बीमारी सिर्फ बच्चों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बड़े भी इससे संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन बच्चों को अधिक खतरा होता है। कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों में यह बीमारी तेजी से फैलती है और यह आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण कर सकती है।
एचएफएमडी एक संक्रामक संक्रमण है जो मुख्य रूप से एंटरोवायरस की वजह से फैलता है। डॉक्टरों के अनुसार, इस बीमारी के मुख्य कारण एंटरोवायरस 71 (EV71) और कॉक्ससैकीवायरस A-16 हैं। यह संक्रमण आमतौर पर बुखार, गले में खराश, हाथ, पैर और मुंह में छोटे-छोटे छालों के रूप में दिखाई देता है। ये छाले खुजली और दर्द का कारण बन सकते हैं। यह संक्रमण 7 से 10 दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन संक्रमण फैलने से पहले, इसमें कोई लक्षण नहीं दिखते और इस समय बच्चे वायरस फैला सकते हैं।
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1. बुखार: एचएफएमडी संक्रमण आमतौर पर तेज बुखार से शुरू होता है।
2. गला सूखना और मुंह में परेशानी: बच्चों को गले में खराश हो सकती है और मुंह में छाले हो सकते हैं।
3. मुंह के छाले: यह संक्रमण जीभ, मसूड़ों और गालों के अंदर छालों के रूप में दिखाई दे सकता है।
4. रैशेज: हाथों की हथेलियों, तलवों और कभी-कभी बट्स पर छोटे लाल चकत्ते हो सकते हैं।
5. भूख न लगना: मुंह में छालों की वजह से बच्चे खाना-पीना नहीं चाहते।
सोर्स-इंटरनेट
एचएफएमडी वायरस आसानी से संक्रमित व्यक्ति के लार, मल या सांस के द्वारा फैल सकता है। संक्रमित बच्चे के साथ संपर्क में आने से यह बीमारी फैल सकती है। इसके अलावा, संक्रमित सतहों और चीजों को छूने के बाद यदि कोई व्यक्ति अपने चेहरे या मुंह को हाथ लगाता है तो भी वायरस फैल सकता है। इस कारण यह संक्रमण स्कूलों, किचन, बाथरूम और सार्वजनिक स्थानों पर तेजी से फैलता है।
एचएफएमडी संक्रमण से बचाव के लिए कुछ अहम उपाय हैं:
1. साफ-सफाई: बच्चों को बाहर खेलने के बाद या खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोने की आदत डालें।
2. संक्रमित लोगों से बचाव: संक्रमित बच्चों के नजदीकी संपर्क से बचें और स्कूल या सार्वजनिक स्थानों पर संक्रमित बच्चों को न भेजें।
3. स्वच्छता बनाए रखें: बच्चे के बिस्तर, खिलौने और अन्य सामान को समय-समय पर धोकर संक्रमण से बचाव करें।
4. टाइमली डॉक्टर से सलाह: अगर बच्चों में संक्रमण के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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1. बच्चे को घर में ही रखें और स्कूल न भेजें ताकि वायरस दूसरों तक न फैले।
2. संक्रमण होने पर बच्चे को ज्यादा तरल पदार्थ दें और आराम करने का समय दें।
3. बुखार और दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार पैरासिटामोल जैसी दवाइयां दें।
4. बच्चे की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, विशेषकर मुँह और हाथों की।