

प्रयागराज से हैरान करने वाली खबर सामने आई है, जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत मिलने के बावजूद व्यक्ति को 17 दिन जेल में बिताने पड़े। कोर्ट द्वारा की गई मात्र एक अक्षर की गलती की सजा व्यकित को 17 दिन तक भुगतनी पड़ी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो) Source: Internet
Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में जानकारी दिया है, कि किसी भी इंसान को वर्तनी में हुई गलती की वजह से जेल में नहीं रख सकते। यह टिप्पणी ऐसे मामले में दी गई है, जहां युवक को जमानत के बावजूद उसको जेल में ही रहना पड़ गया। उसके नाम के आदेश में कुछ अक्षर की गलती देखने को मिली थी।
ब्रह्मशंकर नाम के युवक की बात करें तो 8 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत मिली थी। लेकिन कोर्ट के आदेश मे बात की जाए तो उनका नाम 'ब्रह्माशंकर' लिखा। यानी उसमें 'अ' अक्षर की एक अतिरिक्त वर्तनी को गलत किया गया। इसी वजह से जेल प्रशासन ने उसे रिहा नहीं किया गया और वह 17 दिन और जेल में ही रहा।
यह गलती सबसे पहले निचली अदालत के आदेश को लेकर की गई थी, जिसे बाद में ज़मानत याचिका में भी वैसे ही दिया गया और फिर हाईकोर्ट के आदेश में भी वही गलती हुई थी।
कोर्ट का रुख हुआ सख्त
न्यायमूर्ति समीर जैन की एकलपीठ द्वारा देखा जाए तो इस गलती को गंभीर मानने के बाद कहा, “संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार मिल गया है। इतनी छोटी तकनीकी चूक की वजह से किसी को ज़मानत के बाद भी जेल में रखना उचित नहीं माना जाता है।” कोर्ट ने उम्मीद रखी है कि भविष्य में सभी अधिकारी ऐसे मामलों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत पड़ने लगती है, ताकि किसी की आज़ादी केवल एक अक्षर की गलती की भेंट न आसानी से चढ़ पाए।