

बेवरी गाँव में सोमवार शाम एक ऐसी दर्दनाक घटना घटी, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। नियति के क्रूर खेल ने माँ और बेटे को एक ही दिन छीन लिया और उनका अंतिम सफर भी साथ-साथ तय हुआ।
बेवरी गाँव में पसरा मातम
Gorakhpur, (Golabazar): बेवरी गाँव में सोमवार शाम एक ऐसी दर्दनाक घटना घटी, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। नियति के क्रूर खेल ने माँ और बेटे को एक ही दिन छीन लिया और उनका अंतिम सफर भी साथ-साथ तय हुआ।
सोमवार की देर शाम करीब साढ़े पाँच बजे, मोनू निषाद (22) घर के हैंडपंप पर मोटर चालू करने पहुँचा। जैसे ही उसने नल को छुआ, बिजली के तेज करंट ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। उसकी चीख सुनते ही माँ भगानी देवी (53) दौड़ पड़ीं, उनके साथ छोटा बेटा शैलू (18) भी पहुँच गया। मगर ममता और भाईचारे में की गई यह दौड़ उन्हें भी करंट की लपटों में खींच लाई।
पड़ोसी युवक ने तुरंत पावर हाउस फोन कर बिजली कटवाने की कोशिश की, लेकिन 10 मिनट की देरी ने मोनू की जिंदगी छीन ली। परिजन मोनू को गोला सीएचसी ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। भगानी और शैलू का इलाज जारी रहा, लेकिन माँ का दिल बेटे के बिछोह को सह नहीं सका। देर रात घर लाई गई भगानी देवी ने मंगलवार सुबह अंतिम सांस ले ली—ठीक उस समय, जब मोनू के अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी।
बेवरी श्मशान घाट पर मंगलवार को जो मंजर देखने को मिला, उसने हर किसी को रुला दिया। एक ओर बेटे की चिता की लपटें उठ रही थीं और ठीक बगल में माँ की चिता सज रही थी। पिता हरेंद्र निषाद ने कांपते हाथों और डबडबाई आँखों से अपनी पत्नी और बेटे को एक साथ मुखाग्नि दी।
गाँव के बुजुर्ग कहते रहे—
“जिंदगी में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा, जहाँ माँ-बेटा एक साथ चिता पर चढ़े हों।”
घर में मातम का माहौल है। छोटा बेटा शैलू अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। मोनू की पत्नी तीजा और बड़े बेटे की पत्नी संध्या सदमे में बेहोश होकर निजी अस्पताल में भर्ती हैं। गाँव की गलियों में सन्नाटा पसरा है, हर चेहरा नम है और हर जुबान पर यही बात—माँ-बेटे का ऐसा प्यार, जो मौत के बाद भी साथ रहा।
यह हादसा न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि एक चेतावनी भी—कि बिजली जैसी अदृश्य ताकत के सामने छोटी-सी लापरवाही भी अपूरणीय क्षति पहुँचा सकती है।
बेवरी के लोग इस घटना को हमेशा याद रखेंगे—माँ-बेटे के उस अटूट रिश्ते को, जो अंतिम विदाई तक एक-दूसरे का हाथ थामे रहा।