गोरखपुर: खजनी में प्राथमिक शिक्षक संघ ने विद्यालय मर्जर के खिलाफ उठाई आवाज, विधायक को सौंपा ज्ञापन

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, खजनी इकाई ने परिषदीय विद्यालयों की पेयरिंग और मर्जर नीति के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 3 July 2025, 3:11 PM IST
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Gorakhpur: उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, खजनी इकाई ने परिषदीय विद्यालयों की पेयरिंग और मर्जर नीति के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। जिला उपाध्यक्ष राजेश पांडे और ब्लॉक मंत्री संतोष त्रिपाठी के नेतृत्व में शिक्षकों ने खजनी के माननीय विधायक श्री राम चौहान को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर शिक्षकों ने सरकार के इस निर्णय को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 और बाल अधिकारों के खिलाफ बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की।

डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट अनुसार ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षकों ने कहा कि 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को मर्ज करने का निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच को सीमित करेगा। इससे गरीब, मजदूर और वंचित परिवारों के बच्चे, खासकर बालिकाएं, शिक्षा से वंचित हो जाएंगी, क्योंकि मर्जर के बाद स्कूलों की दूरी बढ़ने से ड्रॉपआउट दर में वृद्धि होगी।

शिक्षकों ने तर्क दिया कि RTE के तहत प्रत्येक बच्चे को 1 किमी के दायरे में प्राथमिक और 3 किमी के दायरे में उच्च प्राथमिक विद्यालय की सुविधा मिलनी चाहिए। मर्जर नीति इस अधिकार का खुला उल्लंघन है।विधायक राम चौहान ने शिक्षकों की मांगों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने शिक्षकों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी निर्णय बच्चों और शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए।

इस अवसर पर महामंत्री डॉ. निरंकार राम त्रिपाठी, विधि प्रकोष्ठ के विनोद पांडे, रामानंद मौर्य, आशुतोष त्रिपाठी, सुरेंद्र सिंह, अंजनी कुमार त्रिपाठी, अरविंद पाठक, राम मुरारी लाल, रमेश यादव और धीरेंद्र त्यागी उपस्थित रहे। शिक्षक संघ ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी न हुईं, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन तेज करेंगे।

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संघ के नेताओं ने कहा कि यह नीति न केवल शिक्षकों के रोजगार को खतरे में डालती है, बल्कि ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को भी कमजोर करती है।शिक्षकों ने सरकार से मांग की कि मर्जर के बजाय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति, बुनियादी सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान दिया जाए।

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