

समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी दीपक मीणा ने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राजेश झा को स्पष्ट निर्देश दिए कि जिले में केवल वही अस्पताल संचालित हों, जिन्हें लाइसेंस प्रदान किया गया है।
डीएम ने की समीक्षा बैठक
Gorakhpur: गोरखपुर के विकास भवन सभागार में आयोजित एक समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी दीपक मीणा ने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राजेश झा को स्पष्ट निर्देश दिए कि जिले में केवल वही अस्पताल संचालित हों, जिन्हें लाइसेंस प्रदान किया गया है। इसके साथ ही, डीएम ने सीएमओ को लाइसेंस प्राप्त अस्पतालों की सूची सार्वजनिक करने का आदेश दिया, ताकि अवैध रूप से संचालित होने वाले अस्पतालों पर नकेल कसी जा सके। डीएम ने साफ कहा कि लाइसेंस प्राप्त अस्पतालों की सूची के अलावा कोई अन्य अस्पताल गोरखपुर जनपद में संचालित नहीं होना चाहिए।
बैठक में जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि अवैध अस्पतालों के संचालन से न केवल मरीजों की जान जोखिम में पड़ती है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। डीएम ने सीएमओ को निर्देशित किया कि लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी पात्र अस्पतालों का विवरण जनता के सामने आए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, बैठक में विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा भी की गई। जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) शाश्वत त्रिपुरारी, जिला वन अधिकारी (डीएफओ) विकास यादव, जिला विकास अधिकारी राजमणि वर्मा, सीएमओ डॉ. राजेश झा सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
जिलाधिकारी के इस कदम से गोरखपुर में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और अवैध अस्पतालों पर रोक लगने की उम्मीद जताई जा रही है। स्थानीय निवासियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है और उनका मानना है कि इससे मरीजों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। सीएमओ ने आश्वासन दिया है कि लाइसेंस प्राप्त अस्पतालों की सूची जल्द ही जारी की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
इस पहल से गोरखपुर में स्वास्थ्य क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की संभावना है, जो जिले की जनता के लिए एक सकारात्मक कदम है।