

खजनी तहसील में लेखपाल खशबू शर्मा की करतूत ने मचाया बवाल, गलत वरासत पर एसडीएम ने किया निलम्बित ,पढिए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
राजस्व विभाग में हड़कंप
गोरखपुर: खजनी तहसील के बहुरीपार बुजुर्ग गांव में लेखपाल खुशबू शर्मा (Accountant Khushboo Sharma) की ऐसी गलती सामने आई है कि राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया! मृतक खातेदार परदेशी पुत्र कनमन की खतौनी में गलत वरासत दर्ज करने की सनसनीखेज हरकत ने खुशबू शर्मा को निलंबन की आग में झोंक दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, उपजिलाधिकारी खजनी राजेश प्रताप सिंह (Sub-District Magistrate Khajni Rajesh Pratap Singh) ने तुरंत एक्शन लेते हुए आदेश के तहत खुशबू को सस्पेंड कर दिया। यह मामला अब गोरखपुर की सियासी और सामाजिक गलियारों में आग की तरह फैल रहा है!
लेखपाल खुशबू शर्मा ने बिना किसी जांच-पड़ताल के मृतक परदेशी की संपत्ति में वरासत के लिए ऑनलाइन आवेदन को हरी झंडी दे दी। चौंकाने वाली बात? यह सामने आई असली वारिसों को ठेंगा दिखाते हुए मालती का नाम दर्ज कर दिए गए, जो वारिस थे ही नहीं! और तो और, मृतक रामदरश के नाम भी वरासत चढ़ा दी गई, जबकि असली वारिस राजकुमार का नाम गायब! है ,यह सब उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 को ठेंगा दिखाकर किया गया।
यह लापरवाही नहीं, बल्कि सीधा-सीधा हक मारने की साजिश जैसा लगता है!शिकायत ने खोला काला चिट्ठा मामला तब फूटा जब गांव के ब्रम्हदेव ने हिम्मत दिखाते हुए इस गलत वरासत की शिकायत ठोंक दी। नायब तहसीलदार खजनी की जांच में खुशबू शर्मा की पोल खुल गई। जांच में साफ हुआ कि लेखपाल ने न तो मौके पर जाकर सच्चाई जानी, न ही कानूनी वारिसों की पहचान की। यह लापरवाही मृतक के परिवार के हक पर डाका डालने वाली थी।
मृतक के नाम पर भी वरासत दर्ज कर दी गई! यह तो सीधे-सीधे राजस्व विभाग की किरकिरी कराने वाला मामला है!
उपजिलाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने खुशबू शर्मा को तत्काल सस्पेंड करते हुए तहसीलदार खजनी को जांच का जिम्मा सौंपा। तहसीलदार को आरोप पत्र तैयार कर अनुमोदन के बाद इसे लागू करने का आदेश दिया गया है। निलंबन के दौरान खुशबू राजस्व निरीक्षक कार्यालय से जुड़ी रहेंगी और उन्हें अर्धवेतन के बराबर जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा, साथ ही कुछ शर्तों के साथ महंगाई भत्ता और अन्य सुविधाएं। लेकिन सवाल यह है—क्या इतना काफी है?
डाइनामाइट न्युज संवाद दाता अनुसार यह मामला अब खजनी तहसील में आग की तरह फैल चुका है। ग्रामीणों में गुस्सा है कि आखिर कैसे एक लेखपाल इतनी बड़ी चूक कर सकता है? स्थानीय लोग इसे गरीब और अनपढ़ किसानों के हक पर डाका मान रहे हैं। गांव के चायखानों से लेकर चौपालों तक बस यही चर्चा है कि क्या असली वारिसों को उनका हक मिलेगा? क्या इस मामले में और बड़े खुलासे होंगे?आगे का सस्पेंस सबकी नजर अब तहसीलदार की जांच पर टिकी है। क्या यह सिर्फ लापरवाही है या इसके पीछे कोई बड़ा खेल? क्या गलत वरासत को ठीक कर राजकुमार जैसे असली वारिसों को उनका हक मिलेगा? यह मामला खजनी तहसील में लंबे वक्त तक गूंजेगा, इतना तय है!