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                        गोरखपुर से मऊ के बीच रेल संपर्क को मजबूत करने वाली सहजनवा-दोहरीघाट रेल परियोजना को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। यह परियोजना क्षेत्र के औद्योगिक विकास, व्यापारिक गतिविधियों और स्थानीय युवाओं के रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाएगी।
                                            नई रेल लाइन परियोजना को लेकर समीक्षा बैठक
Gprakhpur: पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को रफ्तार देने वाली बहुप्रतीक्षित सहजनवा-दोहरीघाट नई रेल लाइन परियोजना को लेकर मंगलवार को मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) हिमांशु वर्मा ने अधिकारियों के साथ एक अहम समीक्षा बैठक की। बैठक में रेलवे, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, बैठक के दौरान सीआरओ ने परियोजना की धीमी प्रगति, विशेष रूप से भूमि अधिग्रहण की सुस्त रफ्तार पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि जिन भू-स्वामियों की रजिस्ट्री अब तक लंबित है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र पूरा किया जाए ताकि निर्माण कार्य बिना किसी बाधा के शुरू हो सके।
सीआरओ हिमांशु वर्मा ने कहा कि सहजनवा-दोहरीघाट रेल लाइन न केवल परिवहन व्यवस्था को मजबूत करेगी बल्कि यह पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए नई जीवनरेखा सिद्ध होगी। उन्होंने बताया कि इस रेल मार्ग के बन जाने से गोरखपुर से मऊ तक की दूरी में लगभग 30 किलोमीटर की कमी आएगी, जिससे यात्रियों का समय और लागत दोनों बचेंगे।
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उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह परियोजना क्षेत्र के औद्योगिक विकास, व्यापारिक गतिविधियों और स्थानीय युवाओं के रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा, यह रेल लाइन गोरखपुर क्षेत्र के विकास की रीढ़ साबित होगी। सरकार की प्राथमिक योजनाओं में यह परियोजना शीर्ष पर है और इसे तय समय सीमा के भीतर पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
बैठक में रेलवे और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने परियोजना की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस रेल लाइन की कुल लंबाई लगभग 81 किलोमीटर होगी, जिस पर 1320 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस मार्ग पर 12 नए स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें सहजनवा, उरुवा बाजार, बार्हापार, दुबौली और दोहरीघाट प्रमुख स्टेशन होंगे। परियोजना को वर्ष 2027 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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सीआरओ ने विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी को निर्देश दिया कि तकनीकी और दस्तावेजी कारणों से कोई भी रजिस्ट्री लंबित न रहे। साथ ही उन्होंने सभी विभागों से कहा कि आपसी समन्वय बनाकर साझा कार्ययोजना तैयार करें, जिससे भूमि अधिग्रहण, सर्वेक्षण और निर्माण कार्य समय पर पूरे हो सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि इस रेल परियोजना से ग्रामीण क्षेत्रों में रेलवे नेटवर्क का विस्तार होगा, जिससे स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी और क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को नया आयाम मिलेगा।
बैठक के अंत में सभी विभागीय अधिकारियों ने परियोजना को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने का संकल्प लिया। सीआरओ वर्मा ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता जनता की सुविधा और क्षेत्रीय विकास है और इस परियोजना का शीघ्र क्रियान्वयन उसी दिशा में एक बड़ा कदम होगा।