

गोरखपुर के गोलाबाजार के उपनगर क्षेत्र में बंदर का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। बीते दो महीनों से एक उग्र बंदर सैकड़ों मासूम बच्चों को निशाना बना चुका है।
गोलाबाजार के उपनगर क्षेत्र में बंदर का आतंक
Gorakhpur: गोलाबाजार के उपनगर क्षेत्र में बंदर का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। बीते दो महीनों से एक उग्र बंदर सैकड़ों मासूम बच्चों को निशाना बना चुका है, लेकिन प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही के चलते आज भी यह समस्या जस की तस बनी हुई है।
डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट अनुसार ताजा मामला वार्ड नंबर आठ का है, जहां मंगलवार शाम को बंदर एक घर में खाने की लालच में घुस गया। मौके का फायदा उठाते हुए भोला नामक व्यक्ति ने कमरे का दरवाजा बंद कर बंदर को अंदर कैद कर दिया। रात भर बंदर कमरे में बंद रहा।
भोला ने कई बार स्थानीय प्रशासन, नगर पंचायत कार्यालय, थाना व सीओ को सूचना दी, लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली।
बुधवार सुबह भोला ने नगर पंचायत के एक वरिष्ठ व्यक्ति की मदद से एसडीएम गोला के स्टेनो अनूप सिंह से संपर्क कर पूरा मामला वीडियो सहित साझा किया।
मामला संज्ञान में आते ही एसडीएम ने तत्काल वन विभाग की टीम को बुलाया। करीब 11:30 बजे वन दरोगा विनय गौड़ के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची, लेकिन जब कमरे का दरवाजा खोला गया, तो बंदर जाल को चकमा देकर फरार हो गया।
इस घटना से लोगों में भारी आक्रोश है। स्थानीय निवासी भोला के अनुसार, बंदर सिर्फ बच्चों को ही शिकार बना रहा है और अब तक नगर पंचायत के सैकड़ों मासूम घायल हो चुके हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोला पर बंदर के काटने की दवा भी उपलब्ध नहीं है, जिससे लोगों को गोरखपुर जाकर इलाज कराना पड़ रहा है।
वार्ड 17 के आरुष साहनी, अमृत साहनी, चांदनी साहनी, कार्तिक गुप्ता, रमजान, प्रियांशी, तायरा, जिशान अंसारी सहित कई बच्चों को पहले ही यह बंदर काट चुका है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अब आमजन खुले में निकलने से भी डर रहे हैं।
प्रशासनिक लापरवाही के चलते बंदर का आतंक लगातार बढ़ रहा है और जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है।