

गोरखपुर जनपद की अदालत ने वर्ष 2014 में थाना उरुवा बाजार क्षेत्र में हुई नाबालिग के अपहरण की घटना में दोषी पाए गए दो अभियुक्तों को सजा सुनाई है। न्यायालय ने अली हुसैन उर्फ भोला और इस्लाम उर्फ काजू को 5-5 वर्ष के कठोर कारावास और ₹16,000-16,000 रुपये जुर्माने की सजा दी है।
2014 का चर्चित अपहरण केस
Gorakhpur: गोरखपुर जनपद की अदालत ने वर्ष 2014 में थाना उरुवा बाजार क्षेत्र में हुई नाबालिग के अपहरण की घटना में दोषी पाए गए दो अभियुक्तों को सजा सुनाई है। न्यायालय ने अली हुसैन उर्फ भोला और इस्लाम उर्फ काजू को 5-5 वर्ष के कठोर कारावास और ₹16,000-16,000 रुपये जुर्माने की सजा दी है।
मा. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश / पॉक्सो-02 गोरखपुर की अदालत में मुकदमा संख्या 96/2014 की सुनवाई के दौरान, आरोपियों पर धारा 363, 366 और 506 भादवि के अंतर्गत दोष सिद्ध पाया गया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध गंभीर प्रकृति का है और दोषियों को सजा मिलना न्याय की जीत है।
इस फैसले को उत्तर प्रदेश पुलिस के "ऑपरेशन कनविक्शन" अभियान की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य गंभीर अपराधों में दोषसिद्धि दर बढ़ाना है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गोरखपुर के कुशल निर्देशन में थाना उरुवा बाजार की पैरोकार टीम और मॉनिटरिंग सेल ने इस मामले की कड़ी निगरानी और प्रभावी पैरवी की, जिसके परिणामस्वरूप अभियुक्तों को न्यायिक सजा दिलवाई जा सकी।
मामले में विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) राममिलन सिंह की कानूनी विशेषज्ञता और समर्पण का अहम योगदान रहा। उन्होंने पूरे मामले में कानून के दायरे में रहकर मजबूत पैरवी की और न्याय सुनिश्चित किया।
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इस फैसले ने जहां पीड़िता को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वहीं समाज को यह कड़ा संदेश भी दिया कि कानून से बच पाना नामुमकिन है। यह मामला अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है।
गोरखपुर पुलिस की इस सफलता ने न केवल जनता के बीच कानून के प्रति भरोसा बढ़ाया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि सिस्टम जब सक्रिय होता है, तो अपराधियों को सजा जरूर मिलती है। स्थानीय लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे अपराधमुक्त समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।