

लखनऊ में आज चौथा और अंतिम बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। इस दौरान कई जगह पर भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। पूरी खबर के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
भंडारा आयोजन (सोर्स- रिपोर्टर)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़ा मंगल के अवसर पर चौथा और अंतिम बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शहर के विभिन्न हिस्सों में भंडारे का आयोजन किया गया है, जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह परंपरा लगभग 400 साल पहले शुरू हुई थी।
बता दें कि सबसे पहला भंडारा अलीगंज के हनुमान जी मंदिर से शुरू हुआ जो लखनऊ की गलियों से बढ़ते-बढ़ते पूरे शहर होने लगा। अब यही भंडारा प्रदेश में भी कई जगहों पर हो रहा है। पहला भंडारा गुड़-धानी का कराया गया था।
गुड़-धानी का होता था भंडारा
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार समय के साथ भंडारे का स्वरूप बदलता गया। पहले भंडारा गुड़-धानी का कराया जाता था, जिसके बाद शरबत आया है और अब पूड़ी-सब्जी के अलावा तमाम व्यंजनों का भी भंडारा कराया जा रहा है। यही नहीं भंडारे का जिक्र इतिहासकारों ने भी किया है। ऐसे में जानते हैं कि भंडारा कार्यक्रम को लेकर पुजारी जगदंबा प्रसाद क्या कहते हैं और इसका क्या महत्व है।
भंडारे को लेकर पूजारी का बयान
अलीगंज मंदिर में मौजूद 35 साल से पूजा-पाठ कर रहे जगदंबा प्रसाद कहते हैं कि पहले हनुमान जी को बेसन के लड्डू और गुड़-धानी का भोग लगाया जाता था। लेकिन अब रिवाज बदल गया है। आज के समय में पूड़ी-सब्जी सबसे ज्यादा बांटी जाती है। पहले केवल अलीगंज पुराना मंदिर में भंडारा लगता था और अब हर जगह लगता है।थ
पुजारी आगे बताते हैं कि हनुमान जी का असली प्रसाद गुड़-धानी ही है। अब कोई गुड़-धानी का प्रसाद नहीं बांटता है और ना ही खाता है। बदलते रिवाज के चलते भंडारा करने का तरीका भी बदल गया है। अभी पूड़ी-सब्जी चल रही है, शायद आगे वाले समय में चाऊमीन मिलने चलेंगे।
भंडारे का महत्व
भंडारे का महत्व हिंदू धर्म और संस्कृति में बहुत अधिक है। यह एक ऐसा अवसर है जब लोग एक साथ आते हैं और भोजन ग्रहण करते हैं, जो समुदाय और एकता की भावना को बढ़ावा देता है। भंडारे में अक्सर विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जो लोगों को एक साथ बैठकर भोजन करने का अवसर प्रदान करते हैं।
समुदाय और एकता: भंडारे में लोग एक साथ आते हैं और भोजन ग्रहण करते हैं, जो समुदाय और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।
धार्मिक महत्व: भंडारे का आयोजन अक्सर धार्मिक अवसरों पर किया जाता है, जैसे कि पूजा, हवन, या अन्य धार्मिक अनुष्ठान।
सामाजिक महत्व: भंडारे में लोग एक साथ आते हैं और सामाजिक बंधनों को मजबूत करते हैं।
आध्यात्मिक महत्व: भंडारे में भोजन ग्रहण करने से लोगों को आध्यात्मिक शांति और संतुष्टि मिलती है।