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सोनभद्र के रासपहरी इलाके की कृष्णा माइनिंग खदान में हुए भूस्खलन हादसे में पांच मजदूरों की मौत के बाद पोस्टमार्टम हाउस में कोहराम मचा। मृतकों में दो सगे भाई भी शामिल हैं। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में शवों की पहचान हो रही है। प्रशासन ने मुआवजे का आश्वासन दिया है।
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर भीड़
Sonbhadra: सोनभद्र जिले के ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली खनन क्षेत्र स्थित रासपहरी इलाके में कृष्णा माइनिंग वर्क खदान में हुए भीषण भूस्खलन हादसे से पूरे जिले में शोक और आक्रोश का माहौल है। शनिवार दोपहर हुए इस हादसे में खदान की विशाल चट्टान अचानक धंसकर गिर पड़ी थी, जिसके नीचे कई मजदूर दब गए थे। रविवार और सोमवार को चले निरंतर रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक कुल पांच मजदूरों के शव बरामद किए जा चुके हैं। सोमवार सुबह चार शव निकाले गए, जबकि शनिवार को एक शव बाहर निकाला गया था।
शवों के पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने पर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वहां चीख-पुकार और कोहराम मच गया। मृतकों को अंतिम बार देखने के लिए पहुंचे परिवार के लोग बेसुध होकर जमीन पर गिरते रहे। भारी भीड़ को देखते हुए पोस्टमार्टम हाउस पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। परिसर में सिर्फ परिजनों और डॉक्टरों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई है, अन्य लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है।
इस हादसे में दो सगे भाइयों की मौत ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। चोपन के पनारी गांव निवासी इंद्रजीत और संतोष दोनों ही पत्थर खदान में मजदूरी करते थे और हादसे के दौरान वहीं काम कर रहे थे। दोनों भाइयों का एक साथ मौत के मलबे में दब जाना परिवार पर दुखों का पहाड़ बनकर टूटा है। मृतक भाइयों के छोटे भाई छोटू ने रोते हुए बताया कि, “हमारे घर के दो चिराग एक साथ बुझ गए। अब परिवार कैसे चलेगा, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा।”
परिजनों ने प्रशासन से उचित मुआवजे की मांग की है। जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सरकारी नियमों के तहत मुआवजा उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं गांव के ग्राम प्रधान ने मृतकों के परिवार को फिलहाल 5 लाख रुपये नगद और कुल 12 लाख रुपये की सहायता दिलाने का भरोसा दिया है। ग्राम प्रधान के इस आश्वासन से कुछ हद तक परिजनों को राहत मिली है लेकिन दर्द और शोक अभी भी गहराया हुआ है।
हादसे के बाद चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अब अपने अंतिम चरण में है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें लगातार मलबा हटाने में जुटी हुई हैं। लगभग 10 पोकलेन मशीनों की मदद से खदान के भीतर मलबे की परतें हटाई जा रही हैं। प्रशासन के अनुसार 70-75 टन वज़न की विशाल चट्टान रेस्क्यू में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई थी, जिसे हटाने में काफी समय लगा।
निकाले गए 5 शवों में से चार मजदूरों की पहचान हो चुकी है, जबकि एक शव की पहचान प्रक्रिया जारी है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जब तक खदान के भीतर किसी के दबे होने की संभावना बनी रहेगी, रेस्क्यू नहीं रोका जाएगा। खनन कंपनी के दो जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ लापरवाही के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ। बिना सुरक्षा उपकरणों के मजदूरों को जोखिमभरे स्थानों पर उतारा जाता था।