Fatehpur Crime: मासूम से दुष्कर्म और हत्या मामले में कोर्ट का फैसला, आरोपी को मिली ये बड़ी सजा

फतेहपुर में तीन साल पहले साढ़े पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी नृशंस हत्या के मामले में न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 13 June 2025, 8:24 PM IST
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फतेहपुर: फतेहपुर में तीन साल पहले साढ़े पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी नृशंस हत्या के मामले में विशेष पोक्सो न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपी ज्ञानेंद्र शुक्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और उस पर 3 लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला 12 जुलाई 2022 की उस भयावह घटना के तीन साल बाद आया है जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया था।

पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  मामला 12 जुलाई का है जब बच्ची स्कूल के लिए घर से निकली थी लेकिन कभी वापस नहीं लौटी। शाम तक घर न लौटने पर परिजनों ने स्कूल में पता किया, जहां उन्हें बताया गया कि बच्ची उस दिन स्कूल आई ही नहीं थी। इसके बाद, बच्ची के पिता ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

स्कूल बैग भी वहीं बरामद

तीन दिन बाद,  खोज में बच्ची का शव शिव अर्जुन के बाग में एक कोठरी के अंदर एक बोरी में लिपटा हुआ मिला। उसका स्कूल बैग भी वहीं बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उन आशंकाओं की पुष्टि की जो सबसे बुरे सपने में भी नहीं सोची जा सकती थीं - बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था और उसके शरीर पर आठ गंभीर चोट के निशान थे।

कड़ी कार्रवाई की मांग

जांच के दौरान, बच्ची के चाचा का बयान महत्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन जब वह रेवाड़ी बाजार जा रहे थे, तो उन्होंने बच्ची को बाग के पास करौंदा तोड़ते देखा था। उसी समय, उन्होंने आरोपी ज्ञानेंद्र शुक्ला को बाग के हैंडपंप पर हाथ-पैर धोते हुए देखा। जब चाचा बाजार से लौटे, तो उन्होंने ज्ञानेंद्र को उसी कोठरी से तेजी से बाहर निकलते और भागते हुए देखा, जहां बाद में बच्ची का शव मिला था। इस गवाही और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने ज्ञानेंद्र शुक्ला को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।

विशेष पोक्सो न्यायालय ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ज्ञानेंद्र शुक्ला को दोषी ठहराया और उसे यह कठोर सजा सुनाई। इस फैसले से न्याय की जीत हुई है और यह ऐसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने वालों के लिए एक कड़ा संदेश है।

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