फतेहपुर में थम गया बिजली का पहिया! क्या है इस हड़ताल के पीछे की बड़ी वजह?

उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण के विरोध में फतेहपुर समेत पूरे प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने हड़ताल की। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के बैनर तले कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर सरकार के फैसले का विरोध किया।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 10 July 2025, 2:24 PM IST
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Fatehpur: उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण के विरोध में फतेहपुर समेत पूरे प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने हड़ताल की। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के बैनर तले कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर सरकार के फैसले का विरोध किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, हड़ताल में शामिल कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि सरकार घाटे के झूठे आंकड़े पेश कर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करना चाहती है। आंदोलन कर रहे इंजीनियरों व कर्मचारियों का कहना है कि वे पिछले सात महीनों से लगातार आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक वार्ता नहीं की गई।

कर्मचारियों ने बताया कि सरकारी विभागों पर करीब 14,400 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है। साथ ही सरकार किसानों को मुफ्त बिजली, गरीबों को 3 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली देती है, जबकि वास्तविक लागत 7.85 रुपये प्रति यूनिट है। इसके अलावा बुनकरों को दी जा रही सब्सिडी भी लगभग 22,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। कर्मचारियों का कहना है कि घाटा इसलिए है क्योंकि सरकार खुद बकाया नहीं चुका रही और अब निजीकरण का रास्ता अपना रही है।

हड़ताल में शामिल जिला विद्युत कर्मचारी संघ के अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह ने चेतावनी दी कि निजीकरण के बाद आम उपभोक्ताओं को 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदनी पड़ेगी। इससे पूर्वांचल और बुंदेलखंड जैसे गरीब क्षेत्रों की जनता बुरी तरह प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि सरकार आम जनता को एक बार फिर लालटेन के युग में धकेलने का काम कर रही है।

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इस एक दिवसीय हड़ताल में देशभर के करीब 27 लाख बिजलीकर्मियों ने भाग लिया और सभी परियोजनाओं व कार्यालयों में काम पूरी तरह ठप रहा। फतेहपुर में भी हड़ताल के चलते विद्युत आपूर्ति कार्यों पर असर देखा गया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द वार्ता नहीं की तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।

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