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यूपी, गुजरात और झारखंड में ईडी की 40 घंटे की छापेमारी में कफ सिरप रैकेट का विशाल नेटवर्क उजागर हुआ है। 700 से ज्यादा फर्जी फर्मों के जरिए अरबों की कमाई और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं।
यूपी में अब तक का सबसे बड़ा कफ सिरप घोटाला
Lucknow: उत्तर प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े कफ सिरप फर्जीवाड़े ने जांच एजेंसियों को भी चौंका दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की यूपी, गुजरात और झारखंड में 25 से अधिक ठिकानों पर चली 40 घंटे से ज्यादा लंबी छापेमारी में जिस स्तर का मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क सामने आया है, उसे अभूतपूर्व माना जा रहा है। ईडी के मुताबिक, 220 संचालकों के नाम पर 700 से अधिक फर्जी फर्में बनाकर अरबों रुपये की अवैध कमाई की गई।
ईडी को अब तक के साक्ष्यों में पता चला है कि अधिकतर फर्में सिर्फ कागजों पर ही मौजूद थीं। न इनके दफ्तर थे, न कर्मचारी और न ही वास्तविक व्यापार। कई फर्मों में अधिकृत व्यक्ति भी केवल दस्तावेजों में दर्ज मिले। इन फर्जी कंपनियों के जरिए कफ सिरप की सप्लाई, बिलिंग और भुगतान का पूरा जाल बुना गया।
ईडी सूत्रों का कहना है कि अभी और फर्जी फर्मों को लेकर जांच जारी है और आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
यूपी में कफ सिरप तस्करी पर प्रहार, FSDA ने दो फर्मों का लाइसेंस किया रद्द; जांच जारी
यूपी, गुजरात और झारखंड में फैले इस नेटवर्क की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, जांच एजेंसियां उतनी ही हैरान होती जा रही हैं। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “यूपी में इस स्तर का फर्जीवाड़ा पहली बार सामने आया है। कदम-कदम पर नियमों को ताक पर रखा गया और सिस्टम की कमजोरियों का जमकर फायदा उठाया गया।”
जांच में यह भी सामने आया है कि फेंसेडिल कफ सिरप बनाने वाली एक दवा कंपनी के कई अधिकारियों को इस पूरे खेल की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने जानबूझकर चुप्पी साधे रखी। पहले ही एसटीएफ के एएसपी लाल प्रताप सिंह अपनी जांच में संकेत दे चुके हैं कि दवा कंपनी के कई अधिकारी भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे।
कफ सिरप तस्करी (Img- Internet)
एसटीएफ की जांच पूरी होने के बाद मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल, पूर्व सांसद के करीबी आलोक सिंह और अमित टाटा खुद को सुरक्षित मान रहे थे। गिरफ्तारी के बाद भी कोर्ट में इनका आत्मविश्वास नजर आ रहा था। लेकिन जैसे ही ईडी ने इनके ठिकानों पर छापेमारी कर दस्तावेज और डिजिटल सबूत जुटाने शुरू किए, इनके खेमे में हड़कंप मच गया।
ईडी सूत्रों के अनुसार, दुबई में छिपे मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल, आलोक सिंह और अमित टाटा के अलावा शुभम के पिता भोला प्रसाद जायसवाल के बैंक खातों में भी भारी संदिग्ध लेन-देन मिले हैं। कई ट्रांजैक्शन का स्रोत और उपयोग स्पष्ट नहीं हो पाया है।
रांची और धनबाद की कुछ फर्मों से भी पैसों का आदान-प्रदान सामने आया है। जीएसटी विभाग से मिलने वाली सूची के बाद जांच का दायरा और बढ़ने की संभावना है।
ईडी अब मिले साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही संपत्ति जब्ती की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस कफ सिरप रैकेट से जुड़े कई और बड़े नाम बेनकाब हो सकते हैं।