गोरखपुर में दहेज हत्या के दोषियों को 10 साल की सजा, 30-30 हजार का जुर्माना

यूपी के गोरखपुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां हत्या के दोषियों को सजा मिल गई है। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़ें पूरी खबर

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 7 June 2025, 9:48 AM IST
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गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से एक चौंका देने वाली खबर सामने आ रही है, जहां दहेज हत्या के एक पुराने मामले में न्याय की जीत हुई है। बता दें कि वर्ष 2014 में थाना कैंट में दर्ज दहेज हत्या के सनसनीखेज मामले में मा. न्यायालय गोरखपुर ने दो अभियुक्त किशुन चौहान और रमेश चौहान को दोषी करार देते हुए 10-10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दोनों पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

ऑपरेशन कनविक्शन के तहत मिली बड़ी सफलता
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार यह फैसला उत्तर प्रदेश पुलिस के “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। मामला वर्ष 2014 का है, जब थाना कैंट में मुकदमा नंबर 569/2014 दर्ज किया गया था।

आरोपियों पर लगी ये धारा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभियुक्तों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता), 304बी (दहेज हत्या) और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत आरोप लगे थे। अभियुक्त किशुन चौहान और उनके पिता रमेश चौहान दोनों बिलंदपुर थाना कैंट गोरखपुर के निवासी है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर राज करन नैयर के कुशल निर्देशन में थाना कैंट के प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार सिंह, थाने की पैरोकार टीम और मॉनिटरिंग सेल ने मामले में प्रभावी पैरवी की। उनकी मेहनत और लगन से मा. अपर सत्र न्यायाधीश (एएसजे पीसी-1) के समक्ष पेश किए गए ठोस सबूतों और गवाहियों ने अभियुक्तों को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

मामले में ADGC ने दिया योगदान
इस मामले में अपर जिला सरकारी वकील (ADGC) शरदेन्दु प्रताप नारायन सिंह का योगदान भी सराहनीय रहा, जिनकी कानूनी दक्षता ने न्यायालय में अभियोजन पक्ष को मजबूती प्रदान की। “ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस की यह मुहिम अपराधियों को सजा दिलाने और समाज में न्याय के प्रति विश्वास जगाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

गोरखपुर पुलिस की इस उपलब्धि ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अपराध के खिलाफ उनकी लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि समाज में दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ एक सशक्त संदेश भी देता है।

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