

चंदौली के चीरवाटांड़ गांव के वनवासी आज भी सड़क, बिजली और सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। नौगढ़ संपूर्ण समाधान दिवस में पहुंचे डीएम का ग्रामीणों ने घेराव कर अपनी पीड़ा जाहिर की। अधिकारियों को गांव का नाम तक न पता होने पर वनवासियों का आक्रोश और गहरा गया।
वनवासियों ने डीएम का किया घेराव
Chandauli: जनपद के नौगढ़ तहसील स्थित चीरवाटांड़ गांव के वनवासियों का वर्षों का दर्द सोमवार को फूट पड़ा। संपूर्ण समाधान दिवस में पहुंचे जिलाधिकारी के सामने ग्रामीणों ने गुस्से और आक्रोश के साथ अपनी पीड़ा व्यक्त की। गांव में आजादी के बाद से अब तक न सड़क है, न बिजली, न शुद्ध पानी और न ही सरकारी योजनाओं का लाभ। विकास की दौड़ में पीछे छूटे इन वनवासियों ने डीएम की गाड़ी को रोककर उन्हें गांव की वास्तविकता से रूबरू कराया।
वनवासी ग्रामीणों का कहना है कि चीरवाटांड़ गांव जंगल के बीच बसा है और वहां पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। बरसात में गांव पूरी तरह से अलग-थलग पड़ जाता है। ना तो बिजली है, ना स्वास्थ्य केंद्र, और ना ही कोई स्कूल। ग्रामीण आज भी जलावन की लकड़ियों और ढिबरी के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं।
महिलाओं ने मूलभूत सुविधाओं की मांग की
जब जिलाधिकारी संपूर्ण समाधान दिवस में पहुंचे, तो ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और सीधा सवाल किया कि उनके गांव का नाम क्या है। हैरान कर देने वाली बात यह रही कि न सिर्फ डीएम बल्कि साथ मौजूद किसी भी अधिकारी को गांव का नाम तक नहीं पता था। इस पर ग्रामीणों का आक्रोश और भी बढ़ गया।
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वनवासी ग्रामीणों ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी वे मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कोई जनप्रतिनिधि वहां झांकने तक नहीं आता। सरकारी योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें ना आवास मिला, ना राशन कार्ड और ना ही वृद्धावस्था या विधवा पेंशन जैसी कोई सहायता।
अधिकारियों की अनदेखी पर भड़के वनवासी
ग्रामीणों के इस आक्रोश को देखते हुए डीएम ने स्थिति को गंभीरता से लिया और मौके पर ही अधिकारियों को निर्देशित किया कि गांव का सर्वे कर जल्द से जल्द समस्याओं का समाधान किया जाए। उन्होंने वनवासी समुदाय को भरोसा दिलाया कि अब उनकी अनदेखी नहीं होगी और जिला प्रशासन हर संभव सहायता प्रदान करेगा।
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डीएम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चीरवाटांड़ गांव तक अगर शासन की योजनाएं नहीं पहुंची हैं तो यह बेहद चिंताजनक है। जिम्मेदार अधिकारियों को इस संबंध में स्पष्टीकरण देना होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि गांव को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
वनवासियों का कहना है कि यदि अब भी उनकी समस्याओं की सुनवाई नहीं हुई, तो वे सामूहिक रूप से वन विभाग की जमीन खाली कर देंगे और पलायन को मजबूर होंगे।