DN Exclusive: गोरखपुर जनता दरबार में जताई पढ़ाई की इच्छा, जानिये कौन हैं पंखुड़ी त्रिपाठी?

गोरखपुर में जनता दर्शन के दौरान पंखुड़ी त्रिपाठी ने सीएम योगी से पढ़ाई के लिए मदद मांगी। आर्थिक तंगी के कारण स्कूल छोड़ चुकी पंखुड़ी को योगी ने भरोसा दिलाया कि उनकी फीस का इंतजाम होगा और पढ़ाई नहीं रुकेगी।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 5 July 2025, 10:16 AM IST
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Gorakhpur: उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर में आयोजित जनता दर्शन में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। जनता दर्शन के दौरान पूर्दिलपुर निवासी 13 वर्षीय पंखुड़ी त्रिपाठी ने अपनी मार्मिक कहानी सीएम के सामने रखी। पंखुड़ी ने सादगी भरे शब्दों में बताया कि उनके परिवार की आर्थिक तंगी के कारण स्कूल की फीस जमा नहीं हो पाई, जिसके चलते उसका स्कूल जाना बंद हो गया और वह फाइनल परीक्षा भी नहीं दे सकी।

"खूब पढ़ो बिटिया, फीस की व्यवस्था हम करेंगे"

पंखुड़ी ने बड़े ही सरल शब्दों में मुख्यमंत्री योगी से कहा, "महाराज जी, मैं पढ़ना चाहती हूं, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति के कारण स्कूल की फीस जमा नहीं हो पा रही है।" उनकी बात सुनकर मुख्यमंत्री ने तुरंत भरोसा दिलाया, "खूब पढ़ो बिटिया, फीस की व्यवस्था हम करेंगे। तुम्हारी पढ़ाई नहीं रुकेगी।" दरअसल, पंखुड़ी की व्यथा सुनकर सीएम ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "तुम्हारी फीस माफ करवाएंगे और अगर ऐसा न हुआ तो सरकार तुम्हारी पढ़ाई का खर्च उठाएगी।" योगी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि बच्ची की शिक्षा में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए।

पंखुड़ी के परिवार की कहानी

डायनामाइट न्यूज़ ने पंखुड़ी के पिता राजीव त्रिपाठी से बात की। राजीव ने बताया कि कोरोना काल के बाद उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती गई। घर के एक कमरे में जनरल स्टोर चलाने की कोशिश नाकाम रही। कभी-कभी भजन गाकर या इलेक्ट्रीशियन का काम करके वह परिवार का गुजारा करते हैं, लेकिन इससे खर्च पूरा नहीं होता। उनकी पत्नी एक दुकान पर काम कर परिवार का सहारा बनी हुई हैं। इससे मिलने वाली तनख्वाह से बड़े बेटे वंश त्रिपाठी की इंटरमीडिएट की फीस तो जमा हो पाई, जो इस साल 2025 की बोर्ड परीक्षा देगा, लेकिन पंखुड़ी की फीस जमा करना मुश्किल हो गया।

राजीव ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि फीस में देरी के कारण पंखुड़ी को क्लास में सहपाठियों के सामने खड़ा कर अपमानित किया जाता था, जिससे बच्ची में हीनभावना घर कर गई। नतीजतन, चार महीने से पंखुड़ी स्कूल नहीं जा रही और फीस न जमा होने के कारण उसे फाइनल परीक्षा से भी वंचित कर दिया गया। स्कूल की ओर से व्हाट्सएप पर फीस जमा करने के संदेश आते थे, जिसका वीडियो भी राजीव ने दिखाया।

क्या है स्कूल का पक्ष?

डायनामाइट न्यूज़ ने जब इस बारे में स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. राजेश सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि यह मामला मीडिया के जरिए उनके संज्ञान में आया। पंखुड़ी के पिता ने कभी स्कूल प्रबंधन से इस बारे में चर्चा नहीं की। डॉ. राजेश ने स्पष्ट किया कि अगर आर्थिक समस्या थी, तो बच्ची को परीक्षा से नहीं रोका जाता। उन्होंने बताया कि क्लास टीचर ने कई बार व्हाट्सएप के जरिए संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन राजीव ने जवाब नहीं दिया। दो बार बात होने पर राजीव ने बताया कि वह दिल्ली या कहीं और हैं और कॉल काट दी। प्रिंसिपल ने व्हाट्सएप मैसेज भी दिखाए, जिसमें राजीव ने पंखुड़ी का नाम स्कूल से काटने की बात कही थी।

डॉ. राजेश ने कहा कि पंखुड़ी अभी भी स्कूल की छात्रा है और वह पढ़ाई जारी रख सकती है। सीएम के निर्देशों का पालन किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में RTE (शिक्षा का अधिकार) के तहत गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। सत्र 2025-26 के लिए RTE के तहत दूसरा पंजीकरण चरण 1 जुलाई से 12 जुलाई 2025 तक खुला है। अभिभावक शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं।

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