Maharajganj News: सिसवा बाज़ार को तहसील बनाने की मांग ने पकड़ा जोर, व्यापारियों ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी

महराजगंज जिले में स्थित सिसवा बाज़ार को तहसील बनाने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। इस बार युवा व्यापारियों ने मोर्चा संभाला है और उन्होंने साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे आगामी चुनावों का बहिष्कार करेंगे। पढ़ें पूरी खबर

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 9 September 2025, 2:10 PM IST
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महराजगंज:  उत्तर प्रदेश के ​ महराजगंज जिले में स्थित सिसवा बाज़ार को तहसील बनाने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। इस बार युवा व्यापारियों ने मोर्चा संभाला है और उन्होंने साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे आगामी चुनावों का बहिष्कार करेंगे।

​क्या है पूरा मामला

​सिसवा बाज़ार एक बड़ा व्यापारिक केंद्र है, लेकिन तहसील न होने की वजह से यहां के लोगों को राजस्व से जुड़े कामों के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। व्यापारियों का कहना है कि इससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है, और व्यापार भी प्रभावित होता है।
​इस समस्या को लेकर पहले भी 'तहसील बनाओ संघर्ष समिति' ने कई बार आवाज़ उठाई थी, लेकिन अब अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के युवा व्यापारी खुलकर सामने आ गए हैं। मंगलवार को इन व्यापारियों ने सिसवा के मुख्य चौराहों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर "सिसवा को तहसील बनाओ" के बैनर लगाए।

​व्यापारियों की चेतावनी

​व्यापार मंडल के नगर अध्यक्ष शिबू खान ने कहा कि सिसवा में व्यापार की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन तहसील न होने के कारण ये संभावनाएं पूरी तरह से विकसित नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने और अन्य व्यापारियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो वे पूरे नगर के लोगों से आगामी चुनावों का बहिष्कार करने की अपील करेंगे।

लोगों के लिए रोज़गार के नए अवसर...

​इस अभियान में शिबू खान के साथ महामंत्री अश्वनी रौनियार, मकसूद अंसारी, धीरज जायसवाल और कई अन्य व्यापारी भी शामिल थे। उनका कहना है कि सिसवा को तहसील का दर्जा मिलने से न सिर्फ प्रशासनिक सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि यहां के लोगों के लिए रोज़गार के नए अवसर भी पैदा होंगे।​अब देखना यह है कि व्यापारियों के इस दबाव का सरकार पर क्या असर होता है। यह मुद्दा अब केवल स्थानीय मांग नहीं, बल्कि चुनाव से भी जुड़ गया है, जो इसकी गंभीरता को और बढ़ा देता है।

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