

नेपाल में जारी विरोध प्रदर्शन ने नया मोड़ ले लिया है। सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री ओली से इस्तीफे की अपील की है और संसद के बाहर हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। हिल्टन होटल में आगजनी और आम जनता की नाराजगी ने देश को संकट में डाल दिया है।
नेपाल में संकट गहराया
Kathmandu: नेपाल इस समय अपने सबसे गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकटों में से एक का सामना कर रहा है। सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ विरोध अब देशव्यापी सरकार विरोधी आंदोलन बन चुका है। हिंसा, आगजनी और टकराव के बीच अब एक नया मोड़ तब आया जब सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से साफ तौर पर कहा कि स्थिति को काबू में लाने के लिए उन्हें इस्तीफा देना होगा।
नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना प्रमुख का कहना है कि जब तक ओली सत्ता में बने रहेंगे, जनता का आक्रोश शांत नहीं होगा। सेना ने इशारा दिया है कि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच जारी टकराव को रोकने के लिए अब राजनीतिक हस्तक्षेप जरूरी हो गया है।
सूत्रों की मानें तो सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री ओली के बीच यह बैठक सोमवार देर रात हुई, जब संसद भवन के बाहर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो गए थे। इस दौरान हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए और सेना को मोर्चा संभालना पड़ा। जनरल सिग्देल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि सरकार को देश में आंतरिक शांति बहाल करनी है, तो सबसे पहले राजनीतिक नेतृत्व को संवेदनशील और जिम्मेदार कदम उठाना होगा। उनका मानना है कि ओली का पद पर बना रहना ही वर्तमान संकट की जड़ बन चुका है।
नेपाल में संकट गहराया
विरोध प्रदर्शनों की आग अब निजी संपत्तियों तक पहुंच चुकी है। काठमांडू के पॉश इलाके में स्थित हिल्टन होटल को प्रदर्शनकारियों ने सोमवार रात आग के हवाले कर दिया। बताया जा रहा है कि यह होटल पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से जुड़े निवेशकों का है। होटल में आग लगने के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई। दमकल विभाग मौके पर पहुंचा और आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक होटल का बड़ा हिस्सा जल चुका था। सुरक्षा बलों ने इलाके को सील कर दिया और बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है।
मंगलवार को हालात उस समय और ज्यादा बिगड़ गए जब प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की। सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच सीधी झड़पें हुईं। संसद भवन के बाहर अब भी हजारों की संख्या में लोग जुटे हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अब आंदोलन केवल सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र के खिलाफ है। उनका आरोप है कि सरकार भ्रष्ट, अलोकतांत्रिक और जनविरोधी नीतियां चला रही है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम अपनी आज़ादी मांग रहे हैं, लेकिन सरकार हमें चुप कराना चाहती है। अब ये सिर्फ इंटरनेट की लड़ाई नहीं है, ये एक नए नेपाल की लड़ाई है।
नेपाली कांग्रेस और CPN (UML) के गठबंधन से बनी ओली सरकार पहले ही मंत्री इस्तीफों से कमजोर हो चुकी है। अब तक गृह मंत्री, कृषि मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच अब सेना की ओर से प्रेसर बढ़ने से ओली के लिए पद पर बने रहना और भी मुश्किल होता जा रहा है। अगर ओली इस्तीफा नहीं देते, तो संभावना है कि संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।