देवरिया की सड़कों पर मौत का तांडव: अज्ञात वाहन की चपेट में आने से बाइक सवार युवक की दर्दनाक मौत

उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में सड़कें जानलेवा बनती जा रही हैं। रफ्तार, अंधेरा और अनियोजित यातायात व्यवस्था के कारण रोजाना सड़क हादसों में लोग जान गंवा रहे हैं। शनिवार देर रात एक और हादसे में बाइक सवार युवक की मौत हो गई।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 24 August 2025, 8:28 AM IST
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Deoria: देवरिया जनपद की सड़कें इन दिनों मौत का सफर बन गई हैं। आए दिन हो रहे सड़क हादसों में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन प्रशासन और यातायात विभाग पूरी तरह से बेपरवाह नजर आ रहा है। रफ्तार पर कोई नियंत्रण नहीं, सड़कें अंधेरे में डूबी हुई और यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे, ऐसे में हर दिन किसी न किसी घर का चिराग बुझता जा रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, शनिवार की देर रात देवरिया-कसया मार्ग पर एक और दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें बाइक सवार युवक ऋषिकेश तिवारी (40 वर्ष) की मौत हो गई। ऋषिकेश तिवारी बरियारपुर थाना क्षेत्र के अहिल्यापुर गांव के रहने वाले थे। वे किसी जरूरी काम से पडरौना गए थे और रात में वापस अपने घर लौट रहे थे। जब वह मुंडेरा बाबू गांव के समीप पहुंचे, तभी किसी अज्ञात तेज रफ्तार वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी।

टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ऋषिकेश तिवारी की मौके पर ही मौत हो गई। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बरियारपुर थानाध्यक्ष मृत्युंजय राय ने बताया कि हादसे के बाद अज्ञात वाहन की तलाश शुरू कर दी गई है। अभी तक वाहन की पहचान नहीं हो सकी है।

यातायात व्यवस्था चरमराई

बता दें कि यह कोई पहला हादसा नहीं है। देवरिया में हर दिन औसतन 5 से 7 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली जाती है। लेकिन, इसके बावजूद प्रशासन कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है। ट्रैफिक पुलिस केवल जनपद मुख्यालय तक सीमित है, जबकि ग्रामीण और कस्बाई इलाकों की यातायात व्यवस्था स्थानीय पुलिस के भरोसे है, जिन्हें यातायात नियंत्रण का कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं है।

क्यों बढ़ रहे हादसे?

देवरिया जिले में 35 लाख की आबादी है, लेकिन इसके 95 प्रतिशत हिस्से में डिवाइडर युक्त सड़कें नहीं हैं। वहीं, करीब 80 प्रतिशत सड़कें रात में अंधेरे में डूब जाती हैं क्योंकि स्ट्रीट लाइट या तो है ही नहीं या खराब पड़ी हैं। सड़कों के किनारे संकेतक और चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगे हैं, जिससे वाहन चालकों को खतरे का अंदाजा नहीं हो पाता। तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना और अंधेरे में अचानक मोड़ या गड्ढे का सामने आना हादसे का कारण बन जाता है।

प्रशासन की अनदेखी पर नाराजगी

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर हादसे के बाद सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। न तो स्थायी समाधान निकाला जाता है और न ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है। अहिल्यापुर गांव के लोगों ने मांग की है कि देवरिया-कसया मार्ग पर स्ट्रीट लाइट, स्पीड ब्रेकर और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि हादसों में कमी आ सके।

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