

बाराबंकी जनपद के सूरतगंज क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने प्रशासन और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बाराबंकी से हैरान कर देने वाला मामला
बाराबंकी: बाराबंकी जनपद के सूरतगंज क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने प्रशासन और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां ग्राम पंचायत जगदीशपुर मजरे दौलतपुर के निवासी राम प्रताप तिवारी ने जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी को एक शिकायती पत्र सौंपा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ लोगों ने उनके मृतक भाई विनोद कुमार के नाम पर फर्जी वसीयतनामा बनवाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, उनके भाई विनोद कुमार की मृत्यु 20 दिसंबर 2024 को बीमारी के चलते हुई थी और अगले ही दिन गांव में विधिपूर्वक उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। लेकिन, मृतक की मृत्यु के ठीक 7 दिन बाद 27 दिसंबर को सीतापुर जिले की बिसवां तहसील में विनोद के नाम से एक वसीयतनामा पंजीकृत कराया गया। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि वसीयतनामा में मृतक की जगह किसी और व्यक्ति की फोटो का इस्तेमाल किया गया।
यह वसीयतनामा बही संख्या 3, जिल्द 189, पृष्ठ 195 से 204 तक, क्रमांक 48742 पर दर्ज किया गया है। राम प्रताप का आरोप है कि इस पूरे षड्यंत्र को अंजाम देने के लिए कुछ ग्रामीणों ने आपसी मिलीभगत से दस्तावेज तैयार करवाए हैं।
शिकायतकर्ता ने पहले इस मामले को लेकर थाना मोहम्मदपुरखाला में रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन वहां से यह कहकर कार्रवाई से इंकार कर दिया गया कि मामला राजस्व से जुड़ा है। थाना प्रभारी जगदीश प्रसाद शुक्ला ने मीडिया से बात करने में असमर्थता जताई है। वहीं, ग्राम पंचायत सचिव से संपर्क के कई प्रयासों के बावजूद उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
राम प्रताप जब स्थानीय स्तर पर न्याय न मिलते देखे तो आखिरकार जिलाधिकारी से मिले। डीएम शशांक त्रिपाठी ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मातहत अधिकारियों को जांच के आदेश दे दिए हैं और कहा है कि जांच में यदि फर्जीवाड़ा सिद्ध हुआ तो दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों की मानें तो अगर यह मामला पूरी तरह फर्जीवाड़े का साबित होता है, तो इसमें न केवल ग्रामीण बल्कि सरकारी कर्मचारी और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी भी लिप्त पाए जा सकते हैं। इससे राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना तय है।
अब प्रशासनिक जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि मौत के बाद कैसे किसी और की तस्वीर लगाकर वसीयतनामा पंजीकृत कराया गया। क्या यह सिर्फ एक ज़मीन कब्जाने की साजिश थी या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है? सच्चाई सामने आने तक यह मामला बाराबंकी में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।